निराई-गुड़ाई के लिए किसान रहे तैयार
बदलते मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को अपनी फसलों की तरफ नियमित ध्यान देने की आवश्यकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मौसम में किसान अपनी फसलों व सब्जियों में निराई-गुड़ाई का कार्य जल्द करें तथा आवश्यकतानुसार नेत्रजन का छिड़काव करें।
पूसा के कृषि भौतिकी संभाग में नोडल अधिकारी डॉ. अनन्ता वशिष्ठ की सलाह है कि यदि फसलों और सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दे तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मि. ली. प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
धान की फसल में अगर पत्त्ता मरोंड या तना छेदक कीट का प्रकोप दिखाई दे तो करटाप दवाई 4 प्रतिशत दानें 10 किलोग्राम प्रति एकड़ का बुरकाव करें।
मक्का में तना छेदक कीट की निगरानी करें अगर प्रकोप अधिक दिखाई दे तो कार्बरिल 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
इस मौसम में किसान स्वीट कोर्न (माधुरी, विन ओरेंज) तथा बेबी कोर्न (एचएम-4) की बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं। सब्जियों (टमाटर, मिर्च, बैंगन फूलगोभी व पत्तागोभी) में यदि फल छेदक, शीर्ष छेदक एवं फूलगोभी और पत्तागोभी में डायमंड बेक मोथ का प्रकोप दिखाई दे तो स्पेनोसेड दवाई 1.0 मि.ली. प्रति 4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
जिन किसानों की टमाटर, मिर्च, बैगन, फूलगोभी और पत्तागोभी की पौध तैयार है, वे मौसम को ध्यान में रखते हुए रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें तथा जल निकास का प्रबन्ध करें।
फूलगोभी की पूसा शरद, पूसा हाइब्रिड-2 पंत शुभ्रा (नवम्बर-दिसम्बर) की रोपाई हेतु पौध तैयार करना शुरू कर सकते हैं तथा प्याज की तैयार पौध की रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें तथा जल निकास का प्रबन्ध करें।
किसान इस समय सरसों साग-पूसा साग-1, मूली- वर्षा की रानी, समर लोंग, लोंग चेतकीय पालक-आल ग्रीन तथा धनिया-पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों पर करें।
कद्दूवर्गीय सब्जियों को ऊपर चढ़ाने की व्यवस्था करें ताकि वर्षा से सब्जियों की लताओं को गलने से बचाया जा सके। फल मक्खी की निगरानी करते रहें इसके लिए मिथाइल यूजीनोल ट्रेप का प्रयोग कर सकते हैं।
फल मक्खी के बचाव हेतू खेत में विभिन्न जगहों पर गुड़ या चीनी के साथ मैलाथियान (डंसंजीपवद 10 प्रतिशत) का घोल बनाकर छोटे कप या किसी और बरतन में रख दें ताकि फल मक्खी का नियंत्रण हो सके।