बजट 2018-19: किसानों को बजट में सरकार से क्या मिला?
वित्तमंत्री अरुण जेटली वित्तवर्ष 2018-19 के लिए बजट पेश कर रहे हैं.
उनके बजट भाषण की शुरुआत खेतिहर किसानों के लिए किए गए कई बड़े ऐलानों के साथ हुई.
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य.
कम लागत में अधिक फसल उगाने पर ज़ोर, किसानों को उनकी उपज का अधिक दाम दिलाने पर फोकस
उपज पर लागत से डेढ़ गुना अधिक दाम मिले, इस पर फोकस.
2000 करोड़ रुपये की लागत से कृषि बाज़ार.
कृषि प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़ रुपये.
500 करोड़ रुपये की लागत से ऑपरेशन ग्रीन.
42 मेगा फूड पार्क बनाए जाने का ऐलान.
लघु और सीमांत किसानों के लिए ग्रामीण कृषि बाजारों का विकास किया जाएगा.
गांवों में 22 हज़ार हाटों को कृषि बाजार में तब्दील किया जाएगा.
देश में कृषि उत्पादन रेकॉर्ड स्तर पर है. साल 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करेंगे.
खरीफ़ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को 1.5 गुना किया गया है.
मछुआरों और पशुपालकों को भी किसानों की तरह क्रेडिट कार्ड दिए जाएंगे.
कृषि बाजार के विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
ऑर्गनिक खेती को और बढ़ावा दिया जायेगा. महिला समूहों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा.
मछली पालन और पशुपालन व्यवसाय में 10000 करोड़ रुपये देकर ग्रामीण क्षेत्रो में जनता की आय बढ़ाने की कोशिश की जाएगी.
सौभाग्य योजना के तहत चार करोड़ गरीब घरों को मुफ़्त बिजली दी जाएगी.
साल 2022 तक हर गरीब के पास उसका अपना घर होगा.
गांवों में इंफ़्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 14.34 लाख करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
उज्ज्वला योजना के तहत अब आठ करोड़ गरीब महिलाओं को मुफ़्त गैस कनेक्शन दिया जाएगा.
कृषि उत्पादों के निर्यात को 100 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंचाने का लक्ष्य.
नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का हेल्थ बीमा.
सरकार के लिए सबसे अधिक चुनौती ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आ रहे ठहराव को दूर करने की है. शायद इसीलिए वित्तमंत्री का फ़ोकस गांवों में बेरोजगारी दूर करने पर है.