जुलाई में कृषि कार्यों में क्या करें
जुलाई महीने के प्रमुख कृषि कार्य
धनहा खेत में हरी खाद की फसल लगाते हैं। ये गहरे हल से जुताई करके किया जाता है।
धान का रोपा लगाया जाता है। जो धान जून के अन्त में बोयी गयी थी, उसकी निंदाई की जाती है।
मक्का, जो मई या जून में बोई गयी थी, उसकी निंदाइ की जाती है।
इस महीने में फिर से मक्का बाजरा, ज्वार, अरहर आदि लगाते हैं।
गन्ने पर मिट्टी चढ़ायी जाती है। कपास, मूंगफली की निंदाई-गुड़ाई करते हैं।
सूरजमुखी की बुवाई करना शूरु हो जाता है।
चारे के लिये सूडान घास, मक्का, नेथियर, रोड्स पारा आदि घास लगायी जाती है।
आम के फलों की तुड़ाई करते हैं, हर फलदार पौधे को अच्छे से, ठीक मात्र में गोबर की खाद दी जाती है।
नींबू में खाद देते हैं। अमरुद के पौधे लगाये जाते हैं। केले के नये बगीचे लगाते हैं और पौधों में खाद देते हैं।
पपीते के बगीचे लगाते हैं। लताओं वाली सब्जियों के पौधों का मण्डल में चढ़ाते हैं।
सब्ज़ियों की खेती करने वाले किसानों को जुलाई माह के रहते-रहते खेती के इन चरणों को निपटा लेना चाहिए: बैगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की रोपाई का समय हैं।
रोपाई के समय बैंगन में 50 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फॉस्फेट व 50 किग्रा पोटश, मिर्च में लगभग 35 किग्रा नाइट्रोजन, लगभग 40 किग्रा फॉस्फेट व 40 किग्रा पोटाश तथा फूलगोभी में 40 किग्रा नाइट्रोजन 60 किग्रा फॉस्फेट 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
बैंगन की रोपाई 60 सेंटीमीटर, मिर्च को 30-45 सेंमी और अगेती फूलगोभी को 30 सेंमी की गहराई पर रोपें। यदि खेत में पानी रुकने की सम्भावना हो तो अगेती फूलगोभी की रोपाई मेड़ पर करें।
ख़रीफ की प्याज़ के लिए पौधशाला में बीज की बोआई जुलाई के पहले पखवाड़े से पहले पूरी कर लें। प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए बीजदर 12-15 किलोग्राम होगी। चौलाई की फसल की बोआई पूरे महीने की जा सकती है। एक हेक्टेयर की बोआई के लिए 2-3 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होगी।
कद्दूवर्गीय सब्जियों में बोआई के लगभग 25-30 दिन बाद पौधों के बढ़वार के समय प्रति हेक्टेयर 15-20 किग्रा नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिग करें।लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, आरा तोरी, करेला व टिण्डा की बोआई इस समय में भी की जा सकती है। पिछले माह में बोई गई लौकीवर्गीय सब्जियों को मचान बनाकर सहारा दें। सभी सब्जियों में उचित जल निकास की व्यवस्था करें।
बरसात वाली भिण्डी और अरबी की बोआई पूरी कर लें। पहले बोई गयी भिण्डी की फसल में बोआई के 30 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 35-40 किलोग्राम नाइट्रोजन (76-87 किलोग्राम यूरिया) की टाप ड्रेसिंग करें।
हल्दी में प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम नाइट्रोजन (87 किग्रा यूरिया) बोआई के 35-40 दिन बाद कतारों के बीच में डालें। अदरक में बोआई के 40 दिन बाद प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन की 25 किलोग्राम मात्रा (54 किग्रा यूरिया) मिटटी चढ़ाते समय दें।
कुंदरू की रोपाई के लिए यह उपयुक्त समय है। ग्रीष्म ऋतु में कतार से कतार व पौधे से पौधे की 3 मीटर की दूरी पर 30 गुणा 30 गुणा 30 सेंटीमीटर आकार के गड्ढे खोदें। उनमें 2-3 किग्रा अच्छी प्रकार से सडी़ गोबर की खाद, नेडप कम्पोस्ट, यूरिया 50 ग्राम, सुपर फॉस्फेट 200 ग्राम प्रति गड्ढ़े की दर से अच्छी तरह मिटटी व बालू में मिलाकर 10 सेंमी की ऊंचाई तक भर दें। वर्षा प्रारम्भ होते ही कलिकायुक्त विकसित कलमों को इन गड्ढों में रोप दें।