हम हमारी स्वतंत्रता की रक्षा करें
मेरे सभी देशवासियों को आजादी की 70 वीं वर्षगाँठ की हार्दिक शुभकामनाएँ इस महान राष्ट्रीय अवसर को मनाने के लिये आज हमलोग यहाँ इकठ्ठा हुए है। जैसा कि हम जानते है कि स्वतंत्रता दिवस हम सभी के लिये एक मंगल अवसर है। ये सभी भारतीय नागरिकों के लिये बहुत महत्वपूर्ण दिन है तथा ये इतिहास में सदा के लिये उल्लिखित हो चुका है। ये वो दिन है जब भारत के महान स्वतंत्रता सेनानीयों द्वारा वर्षों के कड़े संघर्ष के बाद ब्रिटीश शासन से हमें आजादी मिली। भारत की आजादी के पहले दिन को याद करने के लिये हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते है साथ ही साथ उन सभी महान नेताओं के बलिदानों को याद करते है जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपनी आहुति दी।
15 अगस्त 1947 से पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे। प्रत्येक वर्ष भारत में 15 अगस्त को स्वन्त्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है। भारत के लोगों के लिये ये दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। वर्षों की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से इसी दिन भारत को आजादी मिली। 15 अग्स्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से देश की स्वतंत्रता को सम्मान देने के लिये पूरे भारत में राष्ट्रीय और राजपत्रित अवकाश के रुप में इस दिन को घोषित किया गया है।उनके बढ़ते हुए अत्याचारों से सारे भारतवासी त्रस्त हो गए और तब विद्रोह की ज्वाला भड़की और देश के अनेक वीरों ने प्राणों की बाजी लगाई, गोलियां खाईं और अंतत: आजादी पाकर ही चैन लिया। पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे उनके बढ़ते हुए अत्याचारों से सारे भारतवासी त्रस्त हो गए और तब विद्रोह की ज्वाला भड़की और देश के अनेक वीरों ने प्राणों की बाजी लगाई, गोलियां खाईं और अंतत: आजादी पाकर ही चैन लिया।इसी दिन हमने अत्याचारी ब्रितानी हुकूमत के बाद आजादी का पहला सूरज देखा था। वह दिन 15 अगस्त 1947 था इस दिन हमारा देश आजाद हुआ,
सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद ने क्रांति की आग फैलाई और अपने प्राणों की आहुति दी। और न जाने कितने दीवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी तत्पश्चात सरदार वल्लभभाई पटेल, गांधीजी, नेहरूजी ने सत्य, अहिंसा और बिना हथियारों की लड़ाई लड़ी। सत्याग्रह आंदोलन किए, लाठियां खाईं, कई बार जेल गए और अंग्रेजों को हमारा देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया।
इस दिन की याद आते ही उन शहीदों के प्रति श्रद्धा से मस्तक अपने आप ही झुक जाता है जिन्होंने स्वतंत्रता के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी। इसलिए हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम हमारे स्वतंत्रता की रक्षा करें। देश का नाम विश्व में रोशन हो, ऐसा कार्य करें। देश की प्रगति के साधक बनें न कि बाधक।हमारा कर्तव्य है कि देश के उत्थान के लिए इसकी ईमानदारी का परिचय दें। प्रत्येक नागरिक कर्मठता का पाठ सीखे और अपने चरित्र, बल को ऊंचा बनाए। युवक देश की रीढ़ की हड्डी के समान है। उन्हें देश का गौरव बनाए रखने के लिए तथा इसे संपन्न एवं शक्तिशाली बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। आज के दिन हम उन सभी शहीदों को नमन करते हैं जो हमें सुबह की रोशनी देने के लिए जानें कहा खो गए
आज़ादी के महापर्व पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनायें
उन सभी बलिदानियों को मेरा शत शत नमन
जयहिन्द।
Radha Kant