लाल प्याज करेगी कमाल , किसानों को होगा फायदा
लाल प्याज उत्पादक किसानों के लिए अच्छी खबर है। इन किसानों को अब फसल खराब होने व कम दाम मिलने से होने वाले नुकसान की चिंता से मुक्ति मिल सकती है। दरअसल कृषि वैज्ञानिकों ने लाल प्याज की एक ऐसी प्रजाति विकसित की है, जिसकी उम्र मौजूदा किस्म से अधिक होगी।
क्या खास है इस प्रजाति में ...
- निफाड तहसील के चित्तेगांव स्थित राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एमएचआरडीएफ) में ही इस नई प्रजाति को ईजाद किया गया है। - जिसका नाम 'एमएचआरडीएफ-लाल-4 (एल 744)' रखा गया है। इस प्रजाति की प्याज अधिकतम छह माह तक सुरक्षित रहेगी।
- कृषि विशेषज्ञों को करीब 10 वर्ष के प्रयास के बाद यह सफलता मिल सकी। जिसका सीधा फायदा अब किसानों को मिलेगा।
- किसान अपनी फसल को खराब होने के डर से तुरंत बेचने के लिए मजबूर नहीं होंगे। अच्छी कीमतें आते तक इंतजार कर सकेंगे।
- जबकि मौजूदा स्थिति में ऐसी प्रजाति की प्याज नहीं होने से किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए तत्काल मंडी लाना होता है।
- आवक ज्यादा होने से उन्हें उचित दाम नहीं मिल पाते। लिहाजा उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।
- एमएचआरडीएफ के सहायक संचालक आर.के सिंह ने बताया कि, "प्याज की नई प्रजाति से किसानों को दोहरा फायदा होगा। यह प्याज अधिकतम छह माह सुरक्षित रहेगी। किसानों को तत्काल बिक्री करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।"
15-20 फीसदी अधिक उत्पादन क्षमता
1- एमएचआरडीएफ-लाल-4 का परीक्षण अखिल भारतीय नेटवर्क संशोधन के माध्यम से किया गया है।
2- अलग-अलग मौसम में परीक्षण करने के बाद यह पाया गया कि इसका उत्पादन मौजूदा किस्म की तुलना में 15-20 फीसदी अधिक होगा।
3 - उम्र ज्यादा होने से नुकसान की आशंका भी आधी रह जाती है।
लाल प्याज में ये खूबियां भी
1- फसल हरी, सीधी व खड़ी होगी ।
2- प्याज का रंग ब्लड रेड व आकार गोलाकृती का होगा ।
3- व्यास 5.5 से 6.5 सेंटीमीटर।
4- 20 प्याज का औसत वजन 1.50 से 1.70 किलो होगा।
5- बुआई के बाद करीब 115 से 120 दिन में फसल मिलेगी।
6- एक हेक्टेयर में 7 से 8 किलो बीज लगेगा।
7- प्रति एकड़ 160 से180 क्विंटल का उत्पादन संभव।
8- विभिन्न रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी।
इसलिए शोध कर रहे थे वैज्ञानिक
- प्याज उत्पादन भारत विश्व में दूसरे नंबर पर है। जबकि चीन हमसे एक कदम आगे है।
- विश्व में 444 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में 85.80 मिलियन टन प्याज का उत्पादन होता है।
- जिसमें हमारे देश की हिस्सेदारी 19.35 मिलियन टन है। उत्पादन क्षमता मांग से काफी कम है।
- इसके बावजूद प्याज की उम्र कम होने से किसानों को अधिक नुकसान होता है।
- इसी के मद्देनजर एमएचआरडीएफ के विशेषज्ञों ने नई प्रजाति को विकसित किया है।