आरबीआई ने किसानों को कर्ज चुकाने के लिए दिया ज्यादा समय
प्राकृतिक आपदा कई राज्यों के किसानों के लिए तबाही का सबब बन चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक महीने के दौरान बेमौसम बारिश और तूफान से खराब फसलों की वजह से एक दर्जन से ज्यादा किसानों ने सिर्फ उत्तर प्रदेश में आत्महत्या की है। लेकिन इन किसानों को अभी तक कोई राहत नहीं मिल पाई है, तो इसके लिए राज्यों का रवैया ही काफी हद तक जिम्मेदार है।
दरअसल, प्राकृतिक आपदा आने पर किसानों को राहत देने का हर राज्य में अलग-अलग नियम है। इस वजह से केंद्र को सभी राज्यों के लिए समग्र नीति तैयार करने में दिक्कत हो रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्यों के इस रवैये पर कड़ा एतराज जताया है। इसने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर आपदा घोषित करने की एक सर्वमान्य नीति का पालन किया जाना चाहिए।
वैसे आरबीआई ने इसके साथ ही आपदा प्रभावित इलाकों में कर्ज लेने वाले किसानों को राहत देने के लिए मौजूदा नियमों में कुछ अहम बदलाव का भी एलान किया है। इसके तहत छोटी अवधि का कर्ज चुकाने की अवधि बढ़ा कर दस वर्ष तक की जा सकती है।
मौजूदा नियम के मुताबिक आपदा प्रभावित क्षेत्र में बैंकों के बकाये कर्ज को तीन से पांच वर्षों के भीतर चुकाने का अतिरिक्त समय दिया जाता है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि अगर स्थिति बहुत ही खराब है, तो पुनर्भुगतान की अवधि 10 वर्ष तक कर दी जा सकती है।
आरबीआई दिल्ली ने बैंकों को यह भी आजादी दे दी है कि वह आपदा प्रभावित किसानों को 10 हजार रुपये तक की राशि का नया कर्ज बगैर किसी बंधक के भी दे सकते हैं। इस राशि को स्थानीय प्रशासन व सरकार के साथ विचार विमर्श कर बढ़ाया भी जा सकता है। इससे न सिर्फ किसानों को बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे मोटे धंधे करने वालों को ज्यादा फायदा मिलेगा।
बैंकों को कहा गया है कि वह सरकार की तरफ से आपदा राहत प्रबंधन व प्रभावित लोगों को बसाने की घोषणा का अध्ययन करने के बाद अपनी तरफ से कर्ज देने की प्रक्रिया को और उदार बनाने का फैसला कर सकते हैं।
साभार नई दुनिया जागरण