पारा गिरानें से आई किसानों के चेहरों की मुस्कान
लगातार दो बार कमज़ोर मानसून की मार झेलने के बाद और इस बार अधिक ठंड ना पड़ने के कारण परेशान किसानों ने लगता है उम्मीद का दमन छोड़ा नहीं है। मौजूदा समय में लगातार तापमान बढ़ने से किसानों को रबी की फसल को लेकर चिंता सताने लगी थी लेकिन जब तापमान में गिरावट आई और ठिठुरन बढ़ी तो उनके चेहरों पर रौनक लौट आई है। गौरतलब है कि गेहूं जैसी मुख्य फसलों के लिए ज्यादा सर्दी की जरूरत होती है। माना ये जाता है कि सर्दी जितनी अधिक होगी, गेहूं की पैदावार उतनी ही बेहतर होती है।
किसानों की माने तो अगर ऐसा ही मौसम फरवरी माह तक रहता है तो गेंहू की फसल की पैदावार में कोई कमी नहीं आएगी। इसके साथ ही किसानों को जनवरी में होने वाली बारिश का इंतजार है। जनवरी में होने वाली बारिश गेहूं की फसल के लिए बहुत ही उपयोगी होती है। अगर ज्यादा ठंड बढ़ती है तो वाजिब है कि उन गरीब परिवारों को मुसीबत भी झेलना पड़ेगी, जिनके पास सर ढकने के लिए छत नहीं है।
लेकिन किसान परिवारों को जरूर थोड़ी राहत होगी। जिन किसान परिवारों की फसले पिछले साल बेमौसम बरसात की वजह से खराब हो गई थी। इसके बाद सूखा पड़ने की वजह से भी किसानों को काफी नुकसान हुआ है। अब किसानों को उम्मीद है कि शायद गेंहू की बेहतर फसल उनकी किसानों की बाकी की बर्बाद फसलों की भरपाई तो कर सके। लेकिन किसानों के थोड़ी राहत तो जरूर होगी।