दूर होगी दाल की किल्लत आईएआरआई के वैज्ञानिकों ने अरहर की तैयार की एक नई किस्म

दूर होगी दाल की किल्लत आईएआरआई के वैज्ञानिकों ने अरहर की  तैयार की एक नई किस्म

दाल कभी गरीबों का भोजन माना जाता था लेकिन अब दाल गरीबों के लिए एक दिवा स्वप्न से अधिक नही है दाल की किल्लत को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के वैज्ञानिकों ने अरहर की एक नई किस्म तैयार की है जिसकी फसल न सिर्फ कम समय में पककर तैयार हो जाएगी बल्कि उससे उत्पादन भी अधिक होगा। इस किस्म के आने से जहां देश में दलहन का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है, वहीं यह किसानों के लिए विशेष फायदेमंद होगी।  दालों की आसमान छूती कीमतों के मद्देनजर एक राहत की खबर है।

आईएआरआई के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान) केवी प्रभु ने बताया  कि अरहर की इस नई किस्म का नाम पीएडीटी होगा और इसकी फसल 120 दिन में पककर तैयार हो सकेगी। फिलहाल बिहार और उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में अरहर की फसल तैयार होने में 160 से 270 दिन तक लगते हैं।

ऐसे में नई किस्म के जल्द तैयार होने से किसानों को दूसरी फसल बोने का वक्त भी मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि यह किस्म पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी यूपी, बिहार के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगी। इन राज्यों में किसान जुलाई के महीने में इसकी बुवाई कर सकते हैं। फसल अक्टूबर में पककर तैयार हो जाएगी।

प्रभु ने कहा कि इस किस्म की खासियत यह है कि इसका पौधा मात्र 92 सेमी तक बढ़ेगा और इसकी फलियां भी एक साथ पकेंगी। यह बिल्कुल गेहूं के पौधे की तरह होगा। इसलिए इसे काटने के लिए कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग किया जा सकता है।

इससे किसानों की श्रम लागत कम हो जाएगी। साथ ही इसकी पैदावार भी 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होने का अनुमान है। इस तरह नई किस्म से जहां दलहन का उत्पादन बढ़ने से देश में दालों की किल्लत दूर होगी, वहीं इसकी फसल जल्दी तैयार होने तथा लागत कम आने से किसानों के लिए इसे बोना फायदेमंद होगा।

प्रभु ने कहा कि आईएआरआई के वैज्ञानिकों ने केएस राजे के नेतृत्व में इस किस्म को विकसित किया गया है। आईएआरआई की कोशिश है कि दो साल के भीतर इस किस्म को किसानों के खेत तक पहुंचा दिया जाए। इसके लिए परीक्षण चल रहे हैं और बीज तैयार किया जा रहा है।