इल्ली

इल्ली या कैटरपिलर, लेपिडोप्टेरा प्रजाति (कीड़े की एक प्रजाति जिसमें तितलियां और मॉथ शामिल हैं) के एक सदस्य के लार्वा रूप हैं। आहार के मामले में वे अधिकांशतः शाकाहारी हैं, लेकिन कुछ प्रजातियां कीटभक्षी है। कैटरपिलर खाऊ होते हैं और इनमें से कई को कृषि में कीट माना जाता है। कई मॉथ प्रजातियों को, कृषि उत्पाद और फलों को नुकसान पहुंचाने के कारण उनकी कैटरपिलर अवस्था में ज्यादा जाना जाता है।

इस अंग्रेज़ी शब्द की व्युत्पत्ति आरंभिक 16वीं सदी में हुई, मध्यकालीन अंग्रेज़ी catirpel (कैटिरपेल)catirpeller (कैटिरपेलर) से, जो प्राचीन उत्तरी फ्रांस केcatepelose : cate, बिल्ली (लैटिन के cattus से) + pelose, रोएंदार (लैटिन के pilōsus से) का परिवर्तित रूप है।

शरीर रचना

अधिकांश कैटरपिलर का शरीर बेलनाकार और हिस्सों में बंटा हुआ होता है। उनमें, तीन वक्षीय वर्गों पर वास्तविक पैरों के तीन जोड़े होते हैं, पेट के बीच के खण्डों पर प्रोलेग (पैरनुमा उभार) की चार जोड़ियों तक होती है और अक्सर पेट के आखिरी खंड पर प्रोलेग की एक जोड़ी होती है। पेट के दस खंड होते हैं। लेपिडोप्टेरा का परिवार, प्रोलेग की संख्या और स्थिति में भिन्न होते हैं। कुछ कैटरपिलर फजी होते हैं (मतलब है कि वे बाल वाले होते है) और उन्हें छूने पर हाथों पर खुजली होने की संभावना होती है।

कैटरपिलर, मोल्ट्स की एक श्रृंखला के माध्यम से विकसित होते हैं, प्रत्येक मध्यवर्ती चरण एक इनस्टार कहलाता है। आखिरी निर्मोक उन्हें निष्क्रिय पुपल या कोषस्थ कीट चरण में ले जाता है।

अन्य सभी कीड़ों की तरह, कैटरपिलर छाती और पेट से लगे हुए छोटे सुराखों की एक श्रृंखला के माध्यम से श्वास लेते है जिसे झरोखा कहा जाता है। ये शरीर गुहा में श्वासनली के एक नेटवर्क में फ़ैल जाती हैं। पिरैलिडे परिवार के कुछ कैटरपिलर जलीय होते हैं और उनके पास गिल होते हैं जो उन्हें पानी के नीचे सांस लेने में मदद करते हैं।

कैटरपिलर में करीब 4000 मांसपेशियां होती हैं (मनुष्यों में 629 होती हैं). वे पीछे के हिस्से की मांसपेशियों के संकुचन के माध्यम से चलते हैं जिससे रक्त आगे के हिस्से में धकेला जाता है और धड़ लम्बा हो जाता है। औसत कैटरपिलर में अकेले सिर के खंड में 248 मांसपेशियां होती हैं।

जिओमेट्रिड जिन्हें इंच वॉर्म या लूपर के रूप में भी जाना जाता हैं उन्हें यह नाम उनके चलने के तरीके की वजह से दिया गया है, धरती को नापते हुए प्रतीत होते हैं (जिओमेट्रिड (geometrid) शब्द का यूनानी में मतलब है धरती मापक); इस असामान्य गति का प्राथमिक कारण लगभग सभी प्रोलेग का उन्मूलन है सिवाय टर्मिनल खंड पर क्लैसपर को छोड़कर.

कैटरपिलर का शरीर नरम होता है जो निर्मोक के बीच तेजी से विकसित हो सकता है। केवल सिर का कैप्सूल कठोर होता है। कैटरपिलर में जबड़ा, पत्ते चबाने के लिए तेज और कठोर होता है; अधिकांश वयस्क लेपिडोप्टेरा में, जबड़ा बेहद छोटा या नरम होता है। कैटरपिलर के जबड़े के पीछे रेशम के जोड़-तोड़ के लिए स्पिनरेट होता है।

हाइमेनोप्टेरा (चींटियां, मक्खियां और बर्रे) प्रजाति के कुछ लार्वा, लेपिडोप्टेरा के कैटरपिलर की तरह दिखाई सकते हैं। इन्हें मुख्य रूप से सॉफ्लाई परिवार में देखा जाता है और चूंकि लार्वा ऊपरी तौर पर कैटरपिलर के समान दिखता हैं, उन्हें पेट के हर खंड पर प्रोलेग की उपस्थिति द्वारा पहचाना जा सकता है। एक और अंतर यह है कि लेपिडोप्टेरान कैटरपिलर के प्रोलेग पर क्रोचेट्स या हुक होता है जबकि सॉफ्लाई लार्वा पर इनका आभाव होता है। इसके अलावा लेपिडोप्टेरान कैटरपिलर में सिर के अग्र भाग पर उलटा Y आकार का रंध्र होता है।  सॉफ्लाई का लार्वा इस मामले में भी अलग होता है कि सिर कैप्सूल पर प्रमुख ओसेली होता है।

मुख्य रूप से पत्तियां खाकर, कैटरपिलर काफी क्षति पहुंचाते हैं। क्षति की प्रवृत्ति, एकल जोत की कृषि प्रथाओं द्वारा बढ़ जाती है, विशेष रूप से जहां कैटरपिलर विशेष रूप से खेती के अंतर्गत मेजबान पौधे के अनुकूल ढल गया हो. कपास बोलवोर्म भारी नुकसान का कारण बनता है। अन्य प्रजातियां खाद्य फसलों का भक्षण करती हैं। कैटरपिलर, कीटनाशक, जैविक नियंत्रण और कृषि प्रथाओं के प्रयोग के माध्यम से कीट नियंत्रण का निशाना रहे हैं। कई प्रजातियां कीटनाशक के लिए प्रतिरोधी बन गई हैं। जीवाणुज टोक्सिन, जैसे बैसिलस थुरिंजिएंसिस वाले, जिन्हें लेपिडोप्टेरा की आंत को प्रभावित करने के लिए विकसित किया गया है, उन्हें जीवाणुज बीजाणु के स्प्रे, विषैले सार में प्रयोग किया जाता है और उन्हें मेजबान पौधे में ही पैदा करने के लिए जींस को शामिल किया जाता है। समय के साथ कीड़े के प्रतिरोध तंत्र में विकास होने पर ये तरीके व्यर्थ हो जाते हैं।

कैटरपिलर द्वारा खाये जाने के विरोध में पौधे अपने प्रतिरोध तंत्र को विकसित करते हैं, जिसमें शामिल है रासायनिक विष का विकास और शारीरिक बाधाएं जैसे बाल. पौध प्रजनन के माध्यम से होस्ट प्लांट रेसिस्टेंस (HPR) को शामिल करना एक अन्य तरिका है जिससे पौधों की फसल पर कैटरपिलर के प्रभाव को कम किया जाता है।
कुछ कैटरपिलर का प्रयोग उद्योग में किया जाता है। रेशम उद्योग रेशमकीट कैटरपिलर पर आधारित है।

चने और मटर फसल चट कर रही इल्ली

चने और मटर फसल चट कर रही इल्ली

चने और मटर फसल चट कर रही इल्ली
मौसम में नमी की मार चना और मटर पर पड़ रही है। 11 डिग्री सेल्सियस तापमान और 70 फीसदी तक नमी ने दोनों फसलों को बीमार कर दिया है। चना पर इल्ली तो मटर पर फलीछेदक और झुलसा का असर दिखने लगा है। फसलों पर फलियां लगती देख किसान कीटनाशक के प्रयोग को लेकर दुविधा में हैं। 

 किसानों को  खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्णकुंचित पौधे को उखाड़कर गड्डे में डालकर मिट्टी से ढंक दे।

गोमूत्र और नीम तेल फसलों का बना रक्षा कवच

गोमूत्र और नीम तेल फसलों का बना  रक्षा कवच

बारिश के मौसम में फसलों पर कीटों और फफूंद का प्रकोप बढ़ जाता है। इन्हें खत्म करने की बाजार में सैकड़ों रासायनिक कीटनाशक उपलब्ध हैं लेकिन आप चाहे तो घर पर भी इसका इंतजाम कर सकते हैं। इससे न सिर्फ आपके पैसे बचेंगे बल्कि फसल पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा।

खरीफ मौसम में जो भी सब्जियां और फसलें बोई जाती हैं उसमे कीट-पतंग,इल्ली और फफूंद का प्रकोप हो जाता है, जिससे फसल और उपज दोनों पर असर पड़ता है। प्रकोपित पौधे बेहतर उत्पादन नहीं दे पाते हैं। बाजार में मौजूद रसायन एक तो काफी महंगे हैं, जो किसान के लिए खेती का खर्च बढ़ा देते हैं दूसरे कई बार इनका फसलों पर असर भी पड़ता है।'

किसान पर फिर आया संकट, रबी की फसल पर कीटों का हमला

किसान पर फिर आया संक , रवी की फसल पर कीटों का हमला

किसान अभी चौकन्ने न हुए तो कीट उनकी फसल को चंद दिनों में ही चौपट कर देंगे। पिछली रबी और खरीफ की फसलें चौपट होने से लुटे-पिटे किसानों के लिए मौसम ने नई मुसीबत पैदा कर दी है। गेंहूं की फसल पर दीमक और चने की फसल पर इल्ली ने हमला बोल दिया है। इसकी वजह बादल छाने और मौसम में नमी की अधिकता बताई जा रही है। 

इन दिनों खेतों में खड़ी गेहूं की फसल के लिए तापमान की यह तेजी नुकसान का कारण बन सकती है। बढ़वार पर आई फसल के लिए अधिक तापमान नुकसान का कारण बन सकता है। जहां पहले बोवनी हो गई थी और फसल अधिक बड़ी हो गई है, उसके लिए और भी अधिक नुकसान होगा।