गेहूँ

गेहूं (Wheat ; वैज्ञानिक नाम : Triticum spp.), मध्य पूर्व के लेवांत क्षेत्र से आई एक घास है जिसकी खेती दुनिया भर में की जाती है। विश्व भर में, भोजन के लिए उगाई जाने वाली धान्य फसलों मे मक्का के बाद गेहूं दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाले फसल है, धान का स्थान गेहूं के ठीक बाद तीसरे स्थान पर आता है। गेहूं के दाने और दानों को पीस कर प्राप्त हुआ आटा रोटी, डबलरोटी (ब्रेड), कुकीज, केक, दलिया, पास्ता, रस, सिवईं, नूडल्स आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। गेहूं का किण्वन कर बियर, शराब, वोद्का और जैवईंधन बनाया जाता है। गेहूं की एक सीमित मात्रा मे पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है और इसके भूसे को पशुओं के चारे या छत/छप्पर के लिए निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

हालांकि दुनिया भर मे आहार प्रोटीन और खाद्य आपूर्ति का अधिकांश गेहूं द्वारा पूरा किया जाता है, लेकिन गेहूं मे पाये जाने वाले एक प्रोटीन ग्लूटेन के कारण विश्व का 100 से 200 लोगों में से एक व्यक्ति पेट के रोगों से ग्रस्त है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की इस प्रोटीन के प्रति हुई प्रतिक्रिया का परिणाम है

किसानों की बर्बादी बनकर बरसी की बर्फ, फ‍िर दो दिन बारिश की संभावना

किसानों की बर्बादी बनकर बरसी की बर्फ, फ‍िर दो दिन बारिश की संभावना

अन्नदाताओं की मुसीबत बन गई है बेमौसम बरसात।किसानों की मुसीबतें दिन व दिन बढ़ती जा रहीं हैं, किसानों की फसल40%से ज्यादा तो नष्ट हो चुकी है फिर भी मुसीबत टली नही है।
बिन मौसम बारिश धरतीपुत्रों के लिए आफत बन गई है। उनके अरमानों पर ओलो रूपी बर्फ गई है। हवा के साथ बारिश के चलते गेहूं की फसल जमीन पर बिछने से न केवल पैदावार पर असर पड़ेगा, निचले हिस्से में पानी जमा होने से फसल गलकर बर्बाद हो जाएगी। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि खेत में ज्यादा पानी भरा है तो किसान उसे निकाल दें। बारिश से सरसों और सब्जियों में भी नुकसान है।

सर्दी में बारिश मतलब किसान की आफ़त

सर्दी में बारिश मतलब किसान की आफ़त

जनवरी में सर्दी के मौसम में अचानक वारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में दो दिनों से लगातार बारिश से जहां सरसों की फसल खत्म होने आशंका है तो वहीं आलू की फसल को भी नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि गेहूं के लिए बारिश अच्छी साबित हो सकती है , लेकिन हालात देखते हुए यह गेहूँ को नुकसान कर सकती है।

किसानों ने दिखाया गेहूँ और दलहनी फसलों पर भरोसा, तिलहनी फसलों की बुबाई की कम

मौसम की बदलती करवट के चलते किसानों ने रवि फसल में गेहूं चना मटर दलहन पर भरोसा जताया है जबकि तिलहन ऊपर किसानों का भरोसा इस वर्ष कम देखने को मिल रहा है जिसके चलते तिलहन फसलों का एरिया लगातार घटता जा रहा है
चालू सीजन में गेहूं की बुआई बढ़कर 277.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 250.02 लाख हेक्टेयर में हुई थी. वहीं दलहन की बुआई बढ़कर 131.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 131.38 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई हुई थी. रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई पिछले साल के 86.70 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 89.28 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है.

कड़ाके की ठंड और कोहरा मतलब गेहू के अच्छे दिन

कड़ाके की ठंड में इंसानों के साथ जानवरों को दिक्कत जरूर हो रही है लेकिन फसलों में खासकर गेहूं के लिए मौसम का मौजूदा मिजाज फायदे का सौदा बन गया है। पिछेती गेहूं की फसल में कल्ले फूटने के लिए जिस तरह का तापमान चाहिए, वह उसे पिछले चार-पांच दिन में मिल गया। गेहूं के अच्छे दिन के आगाज से वैज्ञानिकों को भी बंपर पैदावार का अनुमान है। करीब तीन महीने में पक कर तैयार होने वाली गेहूं की फसल की दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक बुआई हुई थी।

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