गेहूँ

गेहूं (Wheat ; वैज्ञानिक नाम : Triticum spp.), मध्य पूर्व के लेवांत क्षेत्र से आई एक घास है जिसकी खेती दुनिया भर में की जाती है। विश्व भर में, भोजन के लिए उगाई जाने वाली धान्य फसलों मे मक्का के बाद गेहूं दूसरी सबसे ज्यादा उगाई जाने वाले फसल है, धान का स्थान गेहूं के ठीक बाद तीसरे स्थान पर आता है। गेहूं के दाने और दानों को पीस कर प्राप्त हुआ आटा रोटी, डबलरोटी (ब्रेड), कुकीज, केक, दलिया, पास्ता, रस, सिवईं, नूडल्स आदि बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। गेहूं का किण्वन कर बियर, शराब, वोद्का और जैवईंधन बनाया जाता है। गेहूं की एक सीमित मात्रा मे पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है और इसके भूसे को पशुओं के चारे या छत/छप्पर के लिए निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

हालांकि दुनिया भर मे आहार प्रोटीन और खाद्य आपूर्ति का अधिकांश गेहूं द्वारा पूरा किया जाता है, लेकिन गेहूं मे पाये जाने वाले एक प्रोटीन ग्लूटेन के कारण विश्व का 100 से 200 लोगों में से एक व्यक्ति पेट के रोगों से ग्रस्त है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की इस प्रोटीन के प्रति हुई प्रतिक्रिया का परिणाम है

लॉकडाउन का खामियाजा किसानों पर भारी, तैयार फसल को काटने के लिए नही मिल रहे मजदूर

लॉकडाउन का खामियाजा किसानों पर भारी, तैयार फसल को काटने के लिए नही मिल रहे मजदूर

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन का खामियाजा उन किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है जिनकी पूरी खेती ही मजदूरों के भरोसे है। कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया को बड़ा आर्थिक नुकसान होने वाला है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से देश-दुनिया को आर्थिक मंदी का भी सामना करना पड़ सकता है। कोरोना वायरस का गंभीर परिणाम देश के किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है। गांवों की हालत ऐसी हो गई है कि ग्वाला लोगों से दूध नहीं खरीद रहा है, क्योंकि मिठाई की दुकानें बंद होने से दूध की सप्लाई नहीं हो रही है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन का खामियाजा उन किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है जिनकी पूरी खेती ही मजदूरों के

कटाई व मड़ाई के समय रखें सतर्कता, मशीनों से काम करने पर सरकार का जोर

कटाई व मड़ाई के समय रखें सतर्कता,  मशीनों से काम करने पर सरकार का जोर

कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में फसलों की कटाई, फल व सब्जियों की तुड़ाई, अंडों व मछलियों उत्पादन में लगे लोगों की व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताया गया है।सरकार ने खेतों में खड़ी रबी फसलों की कटाई व मड़ाई के साथ उपज के भंडारण और रखरखाव में सावधानी बरतने की सलाह दी है। बागवानी फसलों में आम के पेड़ों पर फल लग रहे हैं, जिसके लिए जरूरी पोषक तत्वों व अन्य देखभाल जरूरी है। इसके लिए सरकार की ओर से लॉकडाउन में छूट देते हुए फर्टिलाइजर और कीटनाशकों के कारोबार चालू रखे गये हैं। पशु चिकित्सा, मछली व पॉल्ट्री उद्योग में लगे लोगों को व्यक्तिगत स्वच्छता व सामाजिक

कोरोना लॉकडाउन से किसान परेशान , आर्थिक पैकेज में किसानों के लिए कुछ नहीं

कोरोना लॉकडाउन से किसान परेशान , आर्थिक पैकेज में किसानों के लिए कुछ नहीं

रवी फसल पूरी तैयार व कटाई हो रही है, उधर उत्तर प्रदेश में गन्ना कटाई व बुबाई चल रही है ।देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च से 14 अप्रेल तक के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिनों तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा कर दी है | इसमें सभी प्रकार के ट्रांसपोटेशन के साथ–साथ देशवासियों को घर में रहने की अपील की गई है | इससे पूरी तरह से जनजीवन थम गया है | जबकि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब देश में रबी फसलों की कटाई जोरों पर है जो अब थम गई है | पुलिस प्रशासन द्वारा किसानों को खेती कार्य करने पर जुर्माना लगाया जा रहा है।

लॉक डाउन में किसानों को भूली सरकार

लॉक डाउन में किसानों को भूली सरकार

कोरेना वायरस की माहमारी से आज पूरी दुनिया जूझ रही है यह एक वैश्विक संकट है। दुनिया भर में तमाम देश आज लॉक डाउन हो चुके हैं क्योंकि इस समस्या का समाधन ही घर पर रहना, समाज में दूरी बनाकर रखना है।
कल माननीय प्रधानमंत्री जी ने 21 दिनों का लॉक डाउन किया जिसका हम सभी ने स्वागत किया,
माननीय प्रधानमंत्री जी ने सभी विशेष सेवाओं की छूट दी है जिसमें चिकित्सा, खाने पीने का सामान, दूध, सब्जियां आदि।
लेकिन माननीय प्रधानमंत्री जी ने किसानों के लिए कोई विशेष सूचना नही दी,जबकि इनमें से दो तिहाई वस्तुओं का सम्बंध किसानों से है।

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