जैविक कृषि सुरक्षा

फसल चक्र को प्रभावित करने वाले कारक

1॰ जलवायु सम्बन्धी कारक ॰ जलवायु के मुख्य कारक तापक्रम वर्षा वायु एवं नमी है । यही कारक जलवायु को प्रभावित करते हैं जिससे फसल चक्र भी प्रभावित होता है । जलवायु के आधार पर फसलों को तीन वर्गो में मुख्य रूप से बांटा गया है जैसे ॰ खरीफ रबी एवं जायद ।
2॰ भूमि संबंधी कारक भूमि संबंधी कारको में भूमि की किस्म मृदा उर्वरता मृदा प्रतिकिरया जल निकास मृदा की भौतिक दशा आदि आते हैं । ये सभी कारक फसल की उपज पर गहरा प्रभाव डालते हैं 
3॰ सिंचाई के साधन सिंचाई जल की उपलब्धता के अनुसार ही फसल चक्र अपनाना चाहिए । यदि सिंचाई हेतु जल की उपलबधता कम है।

बढ़ता तापमान खेती के लिए नुकसानदायक

मौसम में एकाएक आई गर्मी व बढ़ता तापमान खेती के लिए नुकसानदायक है। इसके अलावा चेंपा व मौसमी कीट भी फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
मौसम में तापमान अधिक होने से गेहूं की फसल में ठीक से फुलाव नहीं आ पाता है और दाना भी कमजोर रह जाता है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि ऐसे में फसल पर हल्की सिंचाई करें और सिंचाई उस समय करें, जब हवा तेज न हो। क्योंकि तेज हवा में बालियों के गिरने का खतरा बना रहता है।

मिली बग- की समस्या का जैविक नियंत्रण

मिली बग की प्रजातियो मे फेरेसिया वरगाटा (धारीदार मिली बग), स्यूडोकोकस लोन्गिसपिनस (लंबी पूंछ वाला मिली बग), प्लानोकोकस सिट्री (नीबूवर्गीय मिलीबग), फिनाकोकस सोलेनी (बैगन मिली बग), सेकेरीकोकस सेकेराई (गुलाबी गन्ना मिली बग), डाईस्मीकोकस ब्रिवीपेस (अनानास मिली बग), मेकोनेलीकोकस हिरसुटस (गुलाबी मिली बग), फिनाकोकस सोलनोप्सिस ( सोलनोप्सिस मिली बग), डासिचा मैंगीफेरी (आम मिली बग) आदि प्रमुख रूप से आते है।

पीला रतुआ (यैलोरस्ट) रोग एवं जैविक उपचार

जनवरी और फरवरी में गेहूं की फसल में लगने वाले पीला रतुआ (यैलोरस्ट) रोग आने की संभाबना रहती है  तापमान में वृद्धि के साथ-साथ गेहूं को पीला रतुआ रोग लग जाता है। हाथ से छूने पर धारियों से फंफूद के बीजाणु पीले रंग की तरह हाथ में लगते हैं। फसल के इस रोग की चपेट में आने से कोई पैदावार नहीं होती है और किसानों को फसल से हाथ धोना पड़ता है। इस बीमारी के लक्षण प्राय ठंडे व नमी वाले क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिलती है, साथ ही पोपलर व सफेदे के आसपास उगाई गई फसलों में यह बीमारी सबसे पहले आती है। पत्तों का पीला होना ही पीला रतुआ नही है, पीला पत्ता होने के कारण फसल में पोषक तत्वों की कमी, जमीन में नमक क

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