अब जिंक राइस से लगेगी कुपोषण पर रोक
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने जिंक राइस की खोज की है, जिसमें जिंक की मात्रा सामान्य चावल से 8 माइक्रोग्राम अधिक है। इसमें पोषकता अधिक है। राइस के एक-एक दाने में आयरन, जिंक और विटामिन ए की मात्रा है, जिसे खाने से कुपोषण पर रोक लगने की उम्मीद है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि एक रिसर्च के अनुसार भारतीयों के खान-पान में पोषक तत्वों की काफी कमी है। अन्य किस्म के चावल में भी जिंक की मात्रा कम है, जिसके कारण बच्चे के उम्र के अनुसार दिमाग का विकास न होना, हड्डियों पर असर पड़ना सहित अनेक प्रकार की बीमारियां होती हैं। ऐसे में जिंक राइस का सबसे ज्यादा फायदा बच्चों और गर्भवती महिलाओं को होगा।
कृषि विवि ने इस चावल का नाम 'छत्तीसगढ़ जिंक राइस वन' रखा है। इसमें जिंक की मात्रा प्रति सौ ग्राम में 22 से 24 माइक्रोग्राम है। जबकि सामान्य चावल में 14 से 16 माइक्रोग्राम जिंक होता है। विवि के प्लांट मौलीक्यूलर बायोलॉजी एंड बॉयोटेक्नॉलॉजी विभाग के प्रोफेसर व रिसर्चर डॉ.गिरीश चंदेल ने बताया के सालों की मेहनत और लैब में परीक्षण के बाद इस बीज को तैयार किया गया है। किसानों तक यह बीज पहुंच सके, इसके लिएव्यापक अभियान चलाया जाएगा।
जिंक राइस के फायदे
कम पानी में होगी खेती
पैदावार में होगी बढ़ोतरी
कुपोषण से मिलेगी मुक्ति
कृषि मेला में मिलेगा बीज
25 तारीख से राष्ट्रीय कृषि मेला का आयोजन रायपुर में किया गया है। 'छत्तीसगढ़ जिंक राइस वन' का बीज पहली बार राज्य के किसानों को वितरित किया जाएगा। लगभग 2 हजार से ज्यादा किसानों को ढाई किलो वाला पैकेट निःशुल्क दिया जाएगा।