किसान

कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है 
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है 

1. जो फसलें उगाते हैं।

2. कृषक (farmer)

3. खेतिहर – खेती करने वाला।

4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।

5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।

6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं

अब खेतों में लहराएगी जैविक कपास

अब खेतों में लहराएगी जैविक कपास

कपास की खेती करने वाले किसानों को सरकार बीज कंपनियों के चुंगल से मुक्त कराने के लिए नया बीज बनाएगी। बीटी कॉटन की जगह मिलने वाला ये बीज पूरी तरह जैविक होगा। इसके लिए मध्य भारत कंपनी और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के बीच करार हुआ है।

मार्च 2017 तक हर किसान के पास होगा मृदा स्वास्थ्य कार्ड

मार्च 2017 तक हर किसान के पास होगा मृदा स्वास्थ्य कार्ड

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश में सभी किसानों को अगले साल तक मृदा स्वास्थ्य कार्ड मुहैया करा दिया जाएगा। 

कृषि मंत्री ने कहा कि यूरिया और कीटनाशकों के ज्यादा इस्तेमाल के चलते ज़मीन का स्वास्थ्य बिगड़ गया है। इसके निदान के लिए सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की है।

उन्होंने बताया कि इस योजना में राज्यों का सहयोग मिल रहा है और मिट्टी की जांच की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि पहले देश भर के किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड तीन साल में उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन बाद में इस लक्ष्य को घटा कर दो साल कर दिया गया।

पूसा हाइड्रोजल से एक बार की सिंचाई से होंगी फसलें

पूसा हाइड्रोजल से एक बार की सिंचाई से होंगी फसलें

जिन इलाकों में जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है, वहां के किसानों के लिए एक राहतभरी खबर है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च(आईसीएआर) ने पूसा हाइड्रोजैल नाम का एक पदार्थ विकसित किया है, जो दो या तीन बार पानी देने वाली फसलों को सिर्फ एक बार की सिंचाई में तैयार कर देगा।

श्योपुर जिले के बड़ौदा कृषि विज्ञान केन्द्र ने इसका प्रयोग चना व गेहूं की फसलों पर किया है, जहां परिणाम उम्मीद से भी अच्छे आए हैं।

ऐसे काम करता है पूसा हाइड्रोजैल

 

हाईकोर्ट की फटकार, आईपीएल से ज्यादा जरूरी हैं किसान

हाईकोर्ट की फटकार, आईपीएल से ज्यादा जरूरी हैं किसान

पूरे देश में जहां कुछ दिनों बाद हर तरफ आईपीएल का खुमार हावी होता दिखेगा वहीं महाराष्ट्र के मुंबई और अन्य शहर के लोग इसके रोमांच से वंचित रह सकते हैं। आईपीएल मैचों के दौरान मैदान को तैयार करने में हजारों लीटर पानी की बर्बादी पर मुंबई हाइकोर्ट ने सवाल खड़ा करते हुए बीसीसीआई और क्रिकेट संघों को कड़ी फटकार लगाई है। 

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे में जब राज्य के कई जिले भयंकर सूखे की मार झेल रहे हैं तब इस तरह हजारों लीटर पानी बर्बाद करने का क्या तुक है। कोर्ट का कहना है कि क्यों न आईपीएल के मैच कहीं ऐसी जगह स्‍थानांतरित कर दिए जाएं जहां सूखे का संकट न हो। 

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