राजस्थान में तीन साल में दुगुनी हो गई आर्गेनिक फार्मिंग :कृषि मंत्रालय

 राजस्थान में तीन साल में दुगुनी हो गई आर्गेनिक फार्मिंग

पेस्टीसाइड और केमिकल्स के खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ते उपयोग के बीच प्रदेश के लिए एक अच्छी खबर है। बड़ी तादात में हमारे किसानों ने फसलों में रसायनिक खाद और केमिकल का उपयोग करना बंद कर दिया है। ऑर्गेनिक फार्मिंग बहुत तेजी से बढ़ रही है। राजस्थान में वर्ष 2015-16 में 1,55020 हैक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की गई। इसमें 58,534 मैट्रिक टन जैविक उत्पादन हासिल किया गया।

 

 

पिछले तीन सालों की तुलना में आर्गेनिक फार्मिंग दोगुनी हो गई है। देश में जैविक खेती करने के मामले में हम चौथे स्थान पर पहुंच गए हैं। सेहत के मामलों में खरा उतरने की वजह से किसानों को जैविक उत्पादों के दाम भी मार्केट में ज्यादा मिल रहे हैं। वहीं जमीन की उर्वरा क्षमता भी बढ़ रही है। माना जा रहा है कि जैविक खेती को बढ़ावा मिलने से लोग बहुत सारी बीमारियों से बच सकेंगे।

कृषि मंत्रालय की ओर से जैविक खेती के उत्पादन को लेकर देश के विभिन्न राज्यों की तैयार रिपोर्ट में राजस्थान की बेहतर स्थिति सामने आई है। राजस्थान जैविक खेती के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात से बहुत आगे पहुंच गया है। हालांकि, उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश हमसे आगे हैं। इसमें सुधार की जरूरत है। जैविक खेती में अनाज, दलहन, सब्जियां, मसाले, फल, तिलहन फसलें आदि शामिल है। जैविक खेती को लेकर सरकार की ओर से किसान समूह बनाए गए हैं। प्रामाणिक जैविक खेती करने वालों को सरकार वित्तीय सहायता भी देती है।

 

जैविक खेती से किसान एवं उपभोक्ता का फायदा

आर्गेनिक खेती की वजह से मृदा की उर्वरक क्षमता बनी रहती है। जमीन की जल धारण की क्षमता भी बढ़ती है। जैविक फसल का बाजार में किसानों को दाम भी अच्छे खासे मिल रहे हैं।

देश में कुल जैविक उत्पादन

देश में जैविक खेती के प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है। जहां 2013-14 में पूरे देश में 723039 हैक्टेयर भूमि में जैविक खेती की गई वहीं,वर्ष 2015-16 में यह क्षेत्रफल बढ़कर 1489935 हैक्टेयर हो गया है। पिछले वर्ष जैविक खेती का उत्पादन 13.36 लाख मैट्रिक टन रहा।