रायगढ़ के खेतों की उपजाउ मिट्टी हो रही अम्लीय

रायगढ़ के खेतों की उपजाउ मिट्टी हो रही अम्लीय

कृषि विभाग द्वारा की जा रही मृदा सैंपल की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जिले के उपजाउ मिट्टी में सबसे ज्यादा अम्ल की मात्रा पाई जा रही है। विभाग द्वारा अब तक 10 हजार मिट्टी का सैंपल परीक्षण किया जा चुका है जिसमें करीब 80 प्रतिशत मृदा अम्लीय है। इससे विभाग असमंजस में है और इस सोच में है कि किस प्रकार क्षारीय मिट्टी को उपजाउ बनाया जाए। इस प्रतिशत को देखते हुए इसकी रिपोर्ट सरकार को वृहद कार्ययोजना के लिए अनुशंसा की जाएगी।

जिले के खेतों में नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी लगातार आ रही थी वहीं अब खेतों की मिट्टी अम्लीय भी हो रही है। रासायनिक उर्वरकों के बेतहाशा उपयोग और फसल चक्र नहीं अपनाए जाने के कारण मिट्टी की उर्वरता लगातार कम हो रही है। पिछले 2015 से लेकर अब तक जिले में करीब 10 हजार किसानों के खेतों से मिट्टी के सैंपल लिए गए हैं। इनमें आठ हजार सैंपल ऐसे मिले हैं जो बिलकुल क्षारीय हो चुके हैं। इसके अलावा 2 हजार नमूनों में जिंक, फास्फोरस, नाइट्रोजन की कमी पाई गई है। राष्ट्रीय कृषि योजनांतर्गत जिले में पिछले 2015 से मृदा परीक्षण कार्य किया जा रहा है। दो साल के भीतर करीब 10 हजार खेतों से मिट्टी का नमूना लिया गया है। इससे पहले नमूनों को जांजगीर के लैब में भेजा जाता था। मगर पिछले साल से यहां परीक्षण केंद्र तैयार हो गया है जिसके कारण यहां की मिट्टी का नमूना जांच रायगढ़ के लैब में ही हो रहा है। जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य पत्रक दिया जाना है। इसमें मिट्टी की रिपोर्ट दर्ज होगी। इस रिपोर्ट से किसान को यह पता चलेगा कि उसके खेतों में किन किन तत्वों की कमी है। इस आधार पर वह खाद व अन्य माध्यमों से मिट्टी की कमी को दूर करने का प्रयास कर सकता है। हालांकि जिस तरीके से मिट्टी में अम्लीयता पाई जा रही है। उससे किसान और विभाग की परेशानी ब़ ढना स्वाभाविक है। पहले सिर्फ जिंक व फास्फोरस जैसे तत्वों की कमी रहती थी। अम्लीयता बहुत कम मात्रा में पाई जाती थी। इससे मिट्टी की उर्वरा क्षमता में कोई फर्क नहीं पड़ता था। वहीं अब मिट्टी में अम्लीय तत्व किसानों के लिए चिंता का विषय बन रही है।

पोषक तत्व सामान्य

जिले की मिट्टी में पोटैशियम, मैग्निशियम, आयरन और कॉपर सामान्य हैं कुछ सैंपल जांच में जिंक की कमी भी पाई गई है। यहां की ज्यादा मिट्टी सैंपलों का पीएच वेल्यू 5.5 आ रहा है। इस अवस्था में मिट्टी में चूना मिलाकर उपचार किया जा सकता है। विशेषज्ञ मिट्टी में 6.5 पीएच वैल्यू को सामान्य बताते हैं। खास बात तो ये है कि पीएच वैल्यू सामान्य से कम होने के बाद भी कुछ पोषक तत्व अभी तक सामान्य अवस्था में हैं।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड में यह जानकारी

कृषि विभाग द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में खेतों की मिट्टी के नमूने लिये जा रहे हैं। इसकी प्रयोगशाला में जांच कर विभाग द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जा रहा है। इसमें किसान का नाम, पूर्ण पता, खेत का खसरा नम्बर, सिंचाई की स्थिति, मिट्टी में मौजूद अम्ल, क्षार, लवण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की जानकारी, रबि-खरीफ की पांच-पांच फसलों की बुआई के लिए देसी खाद, रासायनिक उर्वरक को छिड़काव करने का तरीका भी बताया जा रहा है। खेतों में मिट्टी की जांच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड को कृषि विभाग की वेबसाइट पर भी डाला जा रहा है।

ऐसे होगी पोषक तत्वों की भरपाई

मिट्टी में अधिकतर अम्लीयता की मात्रा पाई जा रही है। इसके लिए विभाग द्वारा किसानों को खेतों में चूने का छिड़काव करने का सलाह दिए जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी में चूना मिलाने से अम्लीयता पर काबू पाया जा सकता है। इसी तरह आर्गेनिक कार्बन की पूर्ति हेतू गोबर की खाद का उपयोग, नाइट्रोजन की पूर्ति हेतू नीम कोटेड यूरिया का उपयोग, जिंक की पूर्ति हेतू जिंक सल्फेट की मात्रा प्रति एकड़ 10 किलोग्राम उपयोग करने का सलाह दिया जा रहा है।

जिले के 19 लैबों में हो रहा परीक्षण

आज से एक साल पहले जिले में मिट्टी परीक्षण करने के लिए एक भी लैब नहीं था। जिसके चलते यहां से मिट्टी नमूना लेकर जांजगीर भेजा जाता था। वहीं पिछले साल जिले में लैब खोले गये हैं। वर्तमान में 17 मिनी लैब के अलावा 2 ब़ डे प्रयोगशाला शुरु हैं। यहीं पर मिट्टी के नमूनों का परीक्षण किया जाता है।

वर्सन

अब तक 10 हजार मिट्टी नमूनों का परीक्षण किया गया है जिसमें 80 प्रतिशत नमूनों में अम्लीयता की ज्यादा मात्रा पाई गई है। ऐसे में हम किसानों को सलाह दे रहे हैं कि वे खेतों में चूने का छिड़काव करें।

एमआर भगत, सहायक संचालक, कृषि विभाग ।
नईदुनिया