पट्टा खत्म होने पर भी भूमि से बेदखल नहीं होंगे किसान - सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अवधि बीत जाने पर भी किसान को पट्टे की भूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि जमीन के मालिक को पट्टे की अवधि बीत जाने की जानकारी हो या वह जमीन के एवज में किराया ले रहा हो तो किसान का कब्जा बरकरार रहेगा।
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के एक प्रावधान का उल्लेख करते हुए जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस पीसी पंत की तीन सदस्यीय पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने जमीन के पट्टे की अवधि बीत जाने के बाद किसान को जमीन खाली करने का आदेश दिया था।
पीठ ने कहा कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 116 से पट्टे की निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद भी पट्टाधारी के कब्जे की वैधता बनी रहेगी। पट्टाधारी की हैसियत वैधानिक बनी रहेगी और 1953 के अधिनियम के प्रावधानों में उल्लिखित व्यवस्था के द्वारा उसे संरक्षण मिलेगा।
पीठ ने कहा कि भूमि पट्टा अधिनियम 1953 में कब्जा हटाने की तय शर्तों में किसानों का कब्जा खत्म करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि पंजाब काश्तकारी कानून 1887 में भी पट्टा अवधि समाप्त होने के बाद पट्टाधारी के प्रावधान को शामिल नहीं किया गया है।