बरसात कम होने पर करें बाजरे की खेती
कम बारिश होने की स्थिति में किसान चिंतित होने की बजाय बाजरे की खेती करें तो कम लागत में अधिक फायदा मिल सकता है। यह कहना है राबर्ट्सगंज ब्लाक के अतरवा गांव निवासी प्रगतिशील किसान रामचंद्र पटेल का।
बताया कि इस वर्ष बारिश कम हुई है। इस स्थिति में किसान बाजरा की खेती कर धान की कमी को पूरा कर सकते हैं। यह इसलिए भी फायदे मंद है कि बाजरा की फसल काट कर खेत में गेहूं की बोआई की जा सकती है। बाजरे का डंठल पशुओं के चारे के लिए भी प्रयोग में आता है।
बोआई का उपयुक्त समय 15 अगस्त तक तथा उन्नतिशील प्रजाति- पूसा 322 व 323 है।
खेत की तैयारी : तीन से चार जोताई के बाद पाटा चलाकर खेत समतल कर देना चाहिए। इसके बाद पानी की निकासी के लिए नाली बना देना चाहिए। एक एकड़ खेत के लिए दो से ढाई किलो बीज पर्याप्त है। सिंगल सुपर फास्फेट -50 किलो, पोटास-15 किलो, यूरिया- 15 किलो प्रयोग करते हैं। कीटों से बचाव के लिए रेजेंट पांच किलो बोआई के समय खाद के साथ मिट्टी में मिला देते हैं। तना छेदक कीट के लिए दो प्रतिशत साइफर मेथिन घोल प्रति लीटर का छिड़काव करते हैं। फसल 80 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। प्रति एकड़ छह से नौ कुंतल पैदावार होती है।