मुआवजा न दाम, लुटा है तो किसान
मध्य प्रदेश में जब भी प्रकृति की मार पड़ती है, इसमें बर्बादी सिर्फ ठेका किसान के हिस्से में आती है.
इस बार भी शीत लहर और पाला के प्रकोप से फसल के नुकसान की जद में भी ठेका किसान ही आया है.
उसे न तो मुआवजा पाने की पात्रता है और न ही फसल का कोई दाम मिलने की उम्मीद है.
राज्य में ठेके पर बड़े पैमाने पर खेती का कार्य होता है, इसमें जमीन मालिक तीन तरह से भूमि ठेके पर देता है, एक वह जिसमें ठेका किसान शुरुआत में ही तय राशि देकर खेती करता है और खुद पूरी फसल का मालिक होता है, दूसरा वह जिसमें कुल पैदावार का आधा-आधा हिस्सा बटता है और तीसरे तरीके में अच्छी पैदावार वाली भूमि आती है जिसमें मालिक का हिस्सा ज्यादा तथा ठेका किसान का हिस्सा कम होता है.
प्रदेश में इस बार पड़े पाले ने लगभग 5000 करोड़ रुपये की फसल को बर्बाद कर दिया है. चौपट हुई फसल से सबसे ज्यादा नुकसान ठेका किसानों को हुआ है, क्योंकि राज्य सरकार मुआवजा उन लोगों को दे रही है, जो पट्टाधारी या भू-स्वामी हैं.
इस मामले को लेकर विंध्य क्षेत्र के कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री राजेंद्र मिश्रा ने सोमवार को राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर से मुलाकात कर जमीनी हकीकत से अवगत कराया.
राज्यपाल से मांग की गई है कि राज्य के मुआवजा नियम में संशोधन किया जाए, ताकि उस ठेका किसान को भी मदद मिल सके जिसे वास्तव में नुकसान हुआ है. राज्यपाल ने भरोसा दिलाया है कि वह प्रदेश सरकार के जिम्मेदार मंत्रियों से चर्चा करेंगे .
रीवा जिले की मनगवां तहसील के बुडवा गांव के सुदामा यादव का कहना है कि उनके इलाके में बड़ी तादाद में ऐसे ठेका किसान है, जो ठेके पर खेती करते हैं. प्राकृतिक आपदा से ऐसे ही किसानों पर वज्रपात हुआ है.
सरकार मुआवजा दे रही है, मगर मिल उन लोगों को रहा है जो भू- स्वामी हैं, वहीं वास्तविक नुकसान उठाने वाले ठेका किसानों को कोई मदद नहीं मिल रही है. वास्तव में बर्बादी तो इन्हीं किसानों की हुई है.
इसी तरह रीवा के जिला पंचायत सदस्य हरिशंकर शुक्ला बताते हैं कि ठेका किसान के सामने रोजी रेाटी का संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि उसने ठेके पर खेत लेकर बीज, खाद सब उधार लेकर लगाया था, अब फसल की बर्बादी ने उसे बर्बाद कर दिया है. एक तरफ वह सब कुछ गंवा चुका है.
दूसरी ओर, सरकार का मुआवजा भी उसे नहीं मिल रहा है, सरकार को अपनी मुआवजा नीति में संशोधन कर ठेका किसानों के लिए भी व्यवस्था करना चाहिए.
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