रोग ग्रस्त मछलियों के लक्षण

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रोग ग्रस्त मछलियों के लक्षण

(1) बीमार मछली समूह में न रहकर किनारे पर अलग-थलग दिखाई देती है, वे शिथिल हो जाती है।
(2) बेचैनी, अनियंत्रित तैरती हैं।
(3) अपने शरीर को बंधान के किनारे या पानी में गड़े बाँस के ठूँठ से बार-बार रगड़ना।
(4) पानी में बार-बार कूद कर पानी को छलकाना।
(5) मुँह खोलकर बार-बार वायु अन्दर लेने का प्रयास करना।
(6) पानी में बार-बार गोल-गोल घूमना।
(7) भोजन न करना।
(8) पानी में सीधा टंगे रहना। कभी-कभी उल्टी भी हो जाती है।
(9) मछली के शरीर का रंग फीका पड़ जाता है। चमक कम हो जाती है तथा शरीर पर श्लेष्मिक द्रव के स्त्राव से शरीर चिपचिपा चिकना हो जाता है।

जुलाई माह में गन्ने की फसल में क्या करें

अन्तः कर्षण क्रियायें

जुलाई माह से गन्ने की लम्बाई बढ़नी शुरू हो जाती है। कल्ले फूटने/निकलने की क्रिया को रोकने के लिये गन्ने की लाइनों पर मिट्टी चढ़ायें इससे गन्ना गिरने से भी बचेगा।

मिट्टी चढ़ाने के बाद यदि वर्षा नहीं होती है तो जड़ों के बेहतर विकास के लिये सिंचाई करें।

सूखे पत्तों को निकाल कर लाइनों के मध्य पलवार के रूप में बिछा दें।

माह के मध्य तक भूमि सतह से 1.5 मीटर की ऊँचाई पर, ऊपर के पत्तों तथा वृद्धि बिन्दु को छोड़कर, पहली बँधाई कर दें।
फसल सुरक्षा –

जुलाई माह में फसल उत्पादन हेतु आवश्यक कार्य

जुलाई माह में धान की सभी प्रजातियों की रोपाई पूर्ण कर लें। रोपाई के लिये 21 दिन की पौध सर्वोत्तम रहती है। पौध को 3-4 सेंटीमीटर भरे हुये पानी में सावधानी से उखाड़ें और गड्डी बांधकर जड़ों को पानी में डुबोकर रक्खें। पौध को उखाड़ने के बाद जितनी जल्दी सम्भव हो उसकी रोपाई कर दें। रोपाई के लिये 20 सेंटीमीटर लाइन से लाइन तथा 15 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी रखते हुये एक स्थान पर 2 स्वस्थ पौधों की रोपाई करें।

पटसन के रोग तथा रोकथाम एवं उपचार

विश्‍व में कपास के बाद पटसन दूसरी महत्वपूर्ण वानस्पतिक रेशा उत्पादक वाणिज्यिक फसल है।पटसन की खेती मुख्यतया बंगलादेश, भारत, चीन, नेपाल तथा थाईलैंड में की जाती है। भारत में पश्‍ि‍चम बंगाल, बिहार, असम इत्यादि राज्यों में पटसन कि खेती की जाती है। देश में पटसन का क्षेत्रफल 8.27 लाख हैक्टेयर है।पटसन का वानस्पतिक नाम कोरकोरस केपसुलेरिस तथा को. आलीटोरियस है जो कि स्परेमेनियोसी परिवार का सदस्य है।

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