किसान क्रेडिट कार्ड

अगस्त 1998 में शुरू हुई किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना एक ऐसे अभिनव ऋण वितरण तंत्र के रूप में उभरी है जिससे किसानों की उत्पादन ऋण संबंधी आवश्यकताएं सही समय पर और बिना किसी कठिनाई के पूरी होती हैं. योजना का कार्यान्वयन विशाल संस्थागत ऋण फ्रेमवर्क जिसमें वाणिज्य बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक शामिल हैं, के जरिए पूरे देश में किया जा रहा है और इस योजना को बैंकरों और किसानों के बीच व्यापक स्वीकार्यता प्राप्त हुई है. तथापि, पिछले 15 वर्षों के दौरान नीति निर्माताओं, कार्यान्वयनकर्ता बैंकों और किसानों को इस योजना के कार्यान्वयन से संबंधित अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ा. भारत सरकार द्वारा नियुक्त विभिन्न समितियों की सिफारिशों और नाबार्ड द्वारा आयोजित अध्ययनों में भी इस तथ्य की पुष्टि हुई है. अतः किसानों और बैंकरों दोनों के लिए इस योजना को आसान और कठिनाई मुक्त बनाने के लिए यह आवश्यक समझा गया कि वर्तमान किसान क्रेडिट योजना पर पुनर्विचार किया जाए. तदनुसार वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवाएं विभाग, भारत सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड को स्मार्ट कार्ड-सह-डेबिट कार्ड के तहत लाने हेतु इस योजना में परिवर्तन हेतु सुझाव देने के लिए इंडियन बैंक के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक श्री टी.एम.भसीन की अध्यक्षता में योजना की समीक्षा हेतु एक कार्यदल का गठन किया.

भारत सरकार द्वारा कार्यदल की सिफारिशें स्वीकार कर लेने के बाद नाबार्ड द्वारा सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा वाणिज्य बैंकों को किसान क्रेडिट कार्ड पर संशोधित परिचालनात्मक दिशानिर्देश वर्ष 2012को जारी किए गए हैं. बैंको को सूचित किया गया कि वे योजना को समयबद्ध रूप से कार्यान्वित करने हेतु यथोचित कार्यनीति बनाएं. पूर्ववर्ती किसान क्रेडिट कार्ड योजना के दिशानिर्देशों में निम्नलिखित सुधार किए गए हैं :

  • पेपर कार्ड (पासबुक) प्लास्टिक कार्ड हो गया है - किसान क्रेडिट कार्ड एटीएम समर्थित डेबिट कार्ड के रूप में है.
  • व्यापक डिलीवरी चैनल: शाखा/चेक सुविधा/बिजनेस करेस्पॉन्डेन्ट/एटीएम (डेबिट कार्ड)/ पीओएस/मोबाइल हैण्डसेट के जरिए परिचालन.
  • ऋण आवश्यकताओं के आकलन में अधिक स्पष्टता (फसलोत्तर / घरेलू / उपभोक्ता आवश्यकताओं के लिए लिमिट का 10% एवं रखरखाव खर्चे के लिए 20% तक का प्रावधान)
  • ऋण सीमा के आकलन के लिए अंतर्निहित लागत वृद्धि - दूसरे साल के बाद से ऋण सीमा निश्चित करने के लिए 10% की नोशनल वृद्धि.
  • मीयादी ऋण के अंतर्गत अधिक गतिविधियों का समावेश.
  • संयुक्त देयता समूहों के वित्तपोषण पर बल देना.
  • पहली बार ऋण लेते समय अर्थात एक ही बार दस्तावेज लेना और उसके बाद दूसरे वर्ष से सामान्य घोषणा.
  • भूमि रिकार्ड का ऑनलाइन आकलन और प्रभार क्रिएट करना