एटीएम की तरह काम करेगा किसान क्रेडिट कार्ड

. नाबार्ड ने प्रदेश की सहकारी ऋण संस्थाओं को व्यापक सहायता मुहैया कराई है. इन संस्थानों को खेती-किसानी के कामों के लिए नाबार्ड ने 2441 करोड़ रुपये दिए है. ब्याज सहायता के लिए 21.05 करोड़ और समय पर ऋण चुकाने के लिए 17.68 करोड़ प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई गई है. नाबार्ड ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना की समीक्षा कर उसमें सुधार किया है.

अब किसान बिक्री मशीनों अर्थात प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) मशीनों के जरिए सीधे एटीएम से ऋण प्राप्त कर सकेंगे. वे कृषि देनदारियों के लिए भुगतान भी कर सकेंगे. किसान क्रेडिट कार्ड को परिष्कृत करके एटीएम समर्थित केसीसी कार्ड में बदल दिया गया है. किसान क्रेडिट कार्ड को हाईटेक करने केलिए रामपुर जिला मध्यवर्ती बैंक को 70.87 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं. प्रदेश के आठ जिला सहकारी बैंकों में कोर बैंकिंग प्रणाली (सीबीएस) स्थापित करने की पहल की गई है. इन जिलों में हर सहकारी बैंक को कंप्यूटर लैब बनाने के लिए 34 लाख रुपये अनुदान दिया गया है.

सहकारी संस्थाओं को मजबूत करने के लिए सहकारी बैंकों में पैक्स विकास कक्ष बनाने की पहल की गई है. हर जिले में 30 प्राथमिक सहकारी समितियों का समग्र विकास किया जाएगा. उनकी व्यवसाय विकास योजना तैयार करने के लिए एक कंप्यूटर पैकेज भी विकसित किया गया है. 19 जिला सहकारी बैंकों में पैक्स की स्थापना के लिए 6.85 करोड़ की सहायता दी गई है.

नाबार्ड हथकरघा क्षेत्र के पुनरुत्थान एवं सुधार के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम कर रहा है. इसके तहत शीर्ष एवं प्राथमिक बुनकर सहकारी समितियों को 64 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है. अभी भी 16 मध्यवर्ती जिला सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. इनके लाइसेंस पर विचार की तिथि बीत चुकी है.