राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना

राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के उद्देश्य निम्नलिखित है-

  • प्राकृतिक आपदा, कीट या बीमारी के कारण किसी भी अधिसूचित फसल के बर्बाद होने की स्थिति में किसानों को बीमा का लाभ और वित्तीय समर्थन देना।
  • किसानों को खेती के प्रगतिशील तरीके, उच्च मूल्य (आगत) इनपुट और कृषि में उच्चतर तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • खेती से होनेवाली आय को विशेष रूप से आपदा के वर्षों में स्थायित्व देने में मदद करना।

योजना की मुख्य विशेषताएँ

1. इसके अधीन फसलें

निम्नलिखित वृहत समूहों की फसल, जिनके बारे में (1) फसल कटाई प्रयोग के बारे में समुचित वर्षों के आंकड़े उपलब्ध हैं और (2) प्रस्तावित मौसम में उत्पादन की मात्रा के आकलन के लिए आवश्यक फसल कटाई प्रयोग किये गये हों-

  • खाद्य फसलें (अनाज, घास और दाल)
  • तिलहन
  • गन्ना, कपास और आलू (वार्षिक वाणिज्यिक या वार्षिक बागवानी फसलें)
  • अन्य वार्षिक वाणिज्यिक  या वार्षिक बागवानी फसलें, बशर्ते उनके बारे में पिछले तीन साल का आँकड़ा उपलब्ध हो। जिन फसलों को अगले साल शामिल किया जाना है, उनकी सूचना चालू मौसम में ही दी जायेगी।

2. इसके अधीन लाये जानेवाले राज्य व क्षेत्र

  • यह योजना सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में लागू है। जो राज्य या संघ शासित प्रदेश योजना में शामिल होने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें योजना में शामिल की जानेवाली फसलों की सूची तैयार करनी होगी।
  • निकास नियम- जो राज्य इस योजना में शामिल होंगे, उन्हें कम से कम तीन साल तक इसमें बने रहना होगा।

3. इसके अधीन लाये जानेवाले किसान

  • अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगानेवाले सभी किसान, जिनमें बटाईदार, किरायेदार शामिल हैं, इस योजना में शामिल होने के योग्य हैं।
  • यह किसानों के निम्नलिखित समूहों को शामिल कर सकती है-
    1. अनिवार्य आधार पर- वैसे सभी किसान, जो वित्तीय संस्थाओं से मौसमी कृषि कार्य के लिए कर्ज लेकर अधिसूचित फसलों की खेती करते हैं, यानी कर्जदार किसान।
    2. ऐच्छिक आधार पर- अन्य सभी किसान, जो अधिसूचित फसलों की खेती करते हैं, यानी गैर-कर्जदार किसान।

4. शामिल खतरे और बाहर किये गये मामले

  • निम्नलिखित गैर-निषेधित खतरों के कारण फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए एकीकृत आपदा बीमा किया जायेगा-
    1. प्राकृतिक आग और वज्रपात
    2. आंधी, तूफान, अंधड़, समुद्री तूफान, भूकंप, चक्रवात, ज्वार भाटा आदि।
    3. बाढ़, डूबना और भूस्खलन।
    4. सुखाड़, अनावृष्टि।
    5. कीट या बीमारी आदि।
  • युद्ध और परमाणु युद्ध, गलत नीयत तथा अन्य नियंत्रण योग्य खतरों से हुए नुकसान को इससे बाहर रखा गया है।

5. बीमित राशि-कवरेज की सीमा

  • बीमित किसान के विकल्प से बीमित फसल के सकल उत्पाद तक बीमित राशि को बढ़ाया जा सकता है। किसान अपनी फसल की कीमत को 150 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं, बशर्ते फसल अधिसूचित हो और इसके लिए वे वाणिज्यिक दर पर प्रीमियम का भुगतान करने को तैयार हों।
  • कर्जदार किसानों के मामले में बीमित राशि फसल के लिए ली गयी अग्रिम राशि के बराबर हो।
  • कर्जदार किसानों के मामले में बीमा शुल्कों को उनके द्वारा लिये गये अग्रिम में जोड़ा जायेगा।
  • फसल कर्ज वितरण के मामले में भारतीय रिजर्ब बैंक  और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के दिशा-निर्देश मान्य होंगे।

6. प्रीमियम की दरें

क्रम संख्या

सत्र

फसल

प्रीमियम की दरें

1

खरीफ

बाजरा व तिलहन

बीमित राशि का 3.5 प्रतिशत या वास्तविक, जो कम हो

 
 

अन्य फसल (अनाज व दाल)

बीमित राशि का 2.5 प्रतिशत या वास्तविक, जो कम हो

2

रबी

गेहूँ

बीमित राशि का 1.5 प्रतिशत या वास्तविक, जो कम हो

 
 

अन्य फसल (अनाज व दाल)

बीमित राशि का 2.0  प्रतिशत या वास्तविक, जो कम हो

3

खरीफ व रबी

वार्षिक वाणिज्यिक या वार्षिक बागवानी फसलें

वास्तविक

अनाज, घास, दलहन और तिलहन के मामलों में वास्तविक का आकलन पिछले पाँच साल की अवधि के औसत के आधार पर किया जायेगा। वास्तविक दर राज्य सरकार या संघ शासित प्रदेश के विकल्पों के आधार पर जिला, क्षेत्र या राज्य स्तर पर लागू की जायेगी।

7. प्रीमियम अनुदान

  • लघु व सीमांत किसानों को प्रीमियम में 50 प्रतिशत तक राज्यानुदान दिया जायेगा, जिसे केंद्र और राज्य या संघ शासित प्रदेश की सरकार बराबर-बराबर वहन करेगी। प्रीमियम राज्यानुदान तीन से पाँच साल की अवधि के बाद वित्तीय परिणाम तथा योजना लागू किये जाने के पहले साल से किसानों की प्रतिक्रिया की समीक्षा के बाद सूर्यास्त के आधार पर वापस ली जायेगी।
  • लघु और सीमांत किसानों की परिभाषा इस प्रकार होगी-

लघु किसान

  • दो हेक्टेयर (पांच एकड़) या कम जमीन रखनेवाला कृषक, जैसा कि संबंधित राज्य या संघ शासित प्रदेश के कानून में कहा गया है।

सीमांत किसान

  • एक हेक्टेयर (2.5 एकड़) या कम जमीन रखनेवाला किसान।

8. कवरेज की प्रकृति और बंध्य

  • यदि  परिभाषित क्षेत्र में बीमित फसल की वास्तविक पैदावार प्रति हेक्टेयर कम होती है, तो उस क्षेत्र के सभी किसानों द्वारा नुकसान उठाना माना जायेगा। योजना वैसी स्थिति में मदद के लिए बनायी गयी है।
  • भुगतान की दर निम्नलिखित फार्मूले के अनुसार मानी जायेगी-

(उत्पादन में कमी या वास्तविक उत्पादन) X किसान के लिए बीमित राशि (उत्पादन में कमी = वास्तविक उत्पादन - परिभाषित क्षेत्र में वास्तविक उत्पादन)

9. स्वीकृति और दावों के निबटारे की प्रक्रिया

  • वर्णित तारीख के अनुसार राज्य या संघ शासित प्रदेश सरकार से एक बार पैदावार का आंकड़ा मिल जाने के बाद, दावों  का निबटारा बीमा अभिकरण (आइए) द्वारा किया जायेगा।
  • दावों का चेक, विवरण के साथ विशिष्ट नोडल बैंकों के नाम  से जारी किया जायेगा। निचले स्तर के बैंक किसानों  के खातों में राशि स्थानांतरित कर उसे अपने सूचना पट्ट पर प्रदर्शित करेंगे।
  • स्थानीय आपदाओं, यथा तूफान, चक्रवात, भूस्खलन, बाढ़ आदि में बीमा अभिकरण (आइए) किसानों को हुए नुकसान के आकलन के लिए एक प्रक्रिया अपनायेगा। इस क्रम में जिला कृषि केंद्र, राज्य या संघ शासित प्रदेश से परामर्श लिया जायेगा। ऐसे दावों का निबटारा बीमा अभिकरण (आइए)  और बीमित के बीच होगा।

10. पुनर्बीमा कवर

  • बीमा अभिकरण (आइए) द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के लिए अंतरराष्ट्रीय पुनर्बीमा बाजार में  समुचित पुनर्बीमा कवर हासिल करने का प्रयास किया जायेगा।

बीमित राशि और प्रीमियम का कार्यशील उदाहरण

धान-चावल के लिए बीमित राशि की सीमा और प्रीमियम दर

राज्य में वास्तविक पैदावार
1930 किग्रा प्रति हेक्टेयर

राज्य में औसत पैदावार
2412 किग्रा प्रति हेक्टेयर

चावल का न्यूनतम समर्थन मूल्य
7.35 रुपये प्रति किग्राम

वास्तविक पैदावार का मूल्य- 14200 प्रति हेक्टेयर

वास्तिवक पैदावार का मूल्य-   26600 प्रति हेक्टेयर

सामान्य प्रीमियम दर-2.5 प्रतिशत

वास्तविक प्रीमियम दर-3.55 प्रतिशत

बीमित राशि व प्रीमियम तालिका

कर्जदार किसान 

गैर-कर्जदार किसान 

(क)  अनिवार्य कवरेज

कर्ज की राशि

12000 रुपये

शून्य

2.5 फीसदी की दर से पूरा प्रीमियम

300 रुपये

शून्य

पूरा प्रीमियम पर 50 फीसदी की दर से सब्सिडी

150 रुपये

शून्य

शुद्ध प्रीमियम

150 रुपये

शून्य

(ख) वैकल्पिक कवरेज-वास्तविक उत्पादन की कीमत तक

12000 से 14200 रुपये तक पूरा प्रीमियम = 2.5 फीसदी की दर से 2200 (कर्जदार किसानों के लिए)

55 रुपये

 

गैर-कर्जदार किसानों के लिए सामान्य कवरेज

 
 

गैर-कर्जदार किसानों के लिए सामान्य कवरेज

 

355 रुपये

पूरा प्रीमियम पर 50 फीसदी की दर से सब्सिडी

27.50 रुपये

177.50 रुपये

शुद्ध प्रीमियम

27.50 रुपये

177.50 रुपये

(ग) वैकल्पिक कवरेज-औसत            उत्पादन के 150 फीसदी की कीमत तक

14200 से 26600 रुपये तक पूरा प्रीमियम = 3.55 फीसदी की दर से 12400 रु पये

440.20     रुपये

440.20   रुपये

पूरा प्रीमियम पर 50 फीसदी की दर से सब्सिडी

220.10 रुपये

220.10 रुपये

शुद्ध प्रीमियम

220.10 रुपये

220.10 रुपये

कुल शुद्ध प्रीमियम (अ + ब + स का योग)

397.60 रुपये

397.60 रुपये

उदाहरण -
एक कर्जदार किसान अ और एक गैर-कर्जदार किसान ब के पास धान-चावल की खेती के लिए एक-एक हेक्टेयर जमीन है। (लघु किसान होने के नाते वे प्रीमियम पर 50 फीसदी सब्सिडी के हकदार हैं)

 

किसान अ (कर्जदार)

किसान ब (गैर-कर्जदार)

कर्ज की राशि

15000.00 रुपये

शून्य

कवरेज की राशि

20000.00 रुपये

16000.00 रुपये

प्रीमियम का लागू दर

2.5 फीसदी (सामान्य दर) 15000.00 रुपये            तक

2.5 फीसदी (सामान्य दर) 14200 रुपये तक

 

शेष 5 हजार रु पये के लिए 3.55 प्रतिशत (वास्तविक दर)

शेष 1800 रु पये के लिए 3.55 प्रतिशत (वास्तविक दर)

प्रीमियम की पूरी राशि

सामान्य दर पर 375 रुपये + वास्तविक दर पर 177.50 रुपये
कुल 552.50 रुपये

सामान्य दर पर 355 + वास्तविक दर पर 64 रुपये

कुल 419 रु पये

सब्सिडी

पूरा प्रीमियम का 50 फीसदी यानी 276.25 रुपये

पूरा प्रीमियम का 50 फीसदी यानी 209.50 रुपये

कुल देय प्रीमियम

276.25 रुपये

209.50 रुपये