प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यरक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने नई योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को मंजूरी दे दी है।

इसमें पांच सालों (2015-16 से 2019-20) के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में मोदी सरकार 5300 करोड़ रुपए खर्च करेगी। पिछली सभी सिंचाई योजनाओं की तुलना में यह धनराश‍ि सबसे बड़ी है। पहले जिस राज्य में अच्छी बारिश होती थी, उसी राज्य में अच्छी फसल हो पाती थी। नई सिंचाई योजना के तहत उन राज्यों को भी अच्छी फसल उगाने का मौका मिल सकेगा, जहां बारिश नहीं हुई। यानी सिंचाई में निवेश में एकरूपता लाना इसका मुख्य उद्देश्य होगा।

इसका मुख्य नारा है 'हर खेत हो पानी'। इसके तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार किया जायेगा। खेतों में ही जल को इस्तेमाल करने की दक्षता को बढ़ाया जायेगा ताकि पानी के अपव्यय को कम किया जा सके। सही सिंचाई और पानी को बचाने की तकनीक को अपनाया जायेगा (हर बूंद अधिक फसल) आदि। इसके अलावा इसके जरिए सिंचाई में निवेश को आकर्षित करने का भी प्रयास किया जाएगा। पीएमकेएसवाई योजना से जुड़ी मुख्य बातें- योजना की निगरानी प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सभी संबंधित मंत्रालयों के मंत्रियों के साथ एक अंतर मंत्रालयी राष्ट्रीय संचालन समिति करेगी। कार्यक्रम के कार्यान्वयन संसाधनों के आवंटन, अंतर मंत्रालयी समन्वय, निगरानी और प्रदर्शन के आकलन के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एनईसी) गठित की जाएगी। राज्य स्तर पर कार्यान्वयन संबंधित राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय मंजूरी देने वाली समिति (एसएलएससी) द्वारा किया जाएगा। इस समिति के पास परियोजना को मंजूरी देने और योजना की प्रगति की निगरानी करने का पूरा अधिकार होगा। कार्यक्रम को और बेहतर ढंग से लागू करने के लिए जिला स्तर पर जिला स्तरीय समिति भी होगी। योजना के तहत कृषि-जलवायु की दशाओं और पानी की उपलब्धता के आधार पर जिला और राज्य स्तरीय योजनाएं बनायी जाएंगी। देश में कुल 14.2 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से 65 प्रतिशत में सिंचाई सुविधा नहीं है। योजना का उद्देश्य देश के हर खेत तक किसी न किसी माध्यम से सिंचाई सुविधा सुनिश्चित करना है ताकि ‘हर बूंद अधिक फसल' ली जा सके। इस योजना के लिए मौजूदा वित्त वर्ष में 1000 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया है। इसके तहत हर खेत तक सिंचाई जल पहुंचाने के लिए योजनाएं बनाने व उनके कार्यान्वयन की प्रक्रिया में राज्यों को अधिक स्वायत्ता व धन के इस्तेमाल की लचीली सुविधा दी गयी है। इस योजना में केंद्र 75 प्रतिशत अनुदान देगा और 25 प्रतिशत खर्च राज्यों के जिम्मे होगा। पूर्वोत्तर क्षेत्र और पर्वतीय राज्यों में केंद्र का अनुदान 90 प्रतिशत तक होगा।