किसानो की बर्बादी के कारण है रसायनिक खाद और कीटनाशक

किसानो की बर्बादी के कारण है रसायनिक खाद और कीटनाशक

कीटनाशक कंपनियों ने किसानो को बर्बाद कर किया कीटनाशक कम्पनियों ने देश के किसानो को आत्म हत्या को मजबूर कर दिया किसान अधिक उपज पाने के चक्कर में रसायनों का अंधाधुंध  प्रयोग करते है जिसके कारण उनकी लागत बहुत अधिक बढ़ जाती है देश भर के किसान आज आत्महत्या कर रहे हैं  रोज देश के किसी न किसी कोने से किसान आत्म हत्या की खबर आ ही जाती है यह डॉ राधा कान्त जी ने किसान जागरूपता अभियान में कही वे आज कीटनाशक कम्पनियों के खिलाफ कार्यक्रम में शेर की तरह दहाड़ रहे थे उन्होंने अपने २ घंटे के भाषण में अधिकतर कोराजन , कालिया .इंडोसल्फान आदि जहरों का जिक्र किया उन्होंने बताया कि यह कम्पनियां किस तरह लुभाने विज्ञापनों से किसानो को गुमराह  कर रही है देश का सीधा साधा किसान उनके चंगुल में आसानी से फंस  जाता है साथ ही उन्होंने सरकार की गलत नीतियों की भी निंदा की ! उन्होंने कहा कि पेस्टीसाइड के अंधाधुंध इस्तेमाल से जहरीले होते जा रहे पर्यावरण चिंता का विषय है सरकार पर्यावरण दिवस मना कर इसे अनदेखा नही कर सकती उन्होंने किसानों से कहा कि अपनी फसलों में कोराजन , कालिया .इंडोसल्फान आदि जैसे खतरनाक जहरों का प्रयोग ना करे और ना ही किसी को करने दे यदि प्रत्येक किसान स्वम् को बदल दे तो इस देश से इन कम्पनियों का असितत्व समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों ने इन पेस्टीसाइड से जन एवं जमीन दोनों को ही खतरा बताया परन्तु हम किसान उनकी बातो को समझ नही पाते है कार्यक्रम में  इन रासायनिक उर्वरको का इतिहास बताया और कहा की यह रसायन देश को बर्बाद करने के लिए विदेशों की सोची समझी चाल है इससे हम किसानों को बचना चाहिए आज वे जागरूता कार्यक्रम में उन्होंने कीटनाशक कंपनियों पर सीधा सीधा निशाना साधा  साथ ही देश के नौजवानों से अपील की वे जो खेती को छोड़ कर छोठी मोटी नौकरियां कर रहे है वे खेती की ओर आये खेती को व्यवसाय की तरह करे ये खेती उन्होंने आश्चर्यजनक परिणाम देगी हर रसायन का हल जैविक खेती में है

साथ ही उन्होंने उन सभी लोगो को धन्यवाद दिया जो लोग जैविक के प्रति समाज को जागृत कर रहे हैं

कार्यक्रम में बिभिन्न जिलों से आये लगभग 600 से ज्यादा  लोगो ने हिस्सा लिया मध्य प्रदेश राजस्थान और गुजरात से आये मेहमानों ने हिस्सा लिया और अपने विचार प्रकट किये  यह किसान हेल्प लाइन की यह पहली सभा थी जिसमे महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया