चना की खेती

चना एक सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल मानी जाती है. चने के पौधे की हरी पत्तियां साग और हरा सूखा दाना सब्जियां बनाने में प्रयुक्त होता है. चने के दाने से अलग किए हुए छिलके को पशु चाव से खाते हैं. चने की फसल आगामी फसलों के लिए मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिर करती है, इससे खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है.

चना की खेती के लिए भूमि की तैयारी

तीन खतरों से बचाएं गेहूं की फसल

सामान्य समय से लगाई गई गेहूं की फसल में इस समय कीट, रोग और खरपतवार का प्रकोप हो सकता है।

इस समय ज्यादातर नम पूर्वा हवा चलती है जिससे फसल में रोग व कीट प्रकोप ज्यादा रहता है। पूर्वा हवा में फसल में नमी बनी रहती है और नमी की वजह से कई तरह के कीट और रोग के पनपने की आदर्श परिस्थियां बन जाती हैं।”

हमारे किसान किसी भी कीट या रोग का प्रकोप होते ही सबसे पहले रासायनिक दवाओं की ओर भागते हैं जबकि वैज्ञानिक तरीके से कीट और रोग नियंत्रण में यह सबसे आखिरी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।”

फरवरी में किसान करें इन लता वर्गीय सव्जियों की बुवाई

किसान फरवरी में कौन-कौन सी लता वर्गीय सव्जियों की बुवाई कर सकते हैं. बाजार में आने वाले मौसम और समय को देखते हुए ही किसानों को बुवाई करनी चाहिए जिससे बाज़ार में उसकी मांग के चलते अच्छी कीमत मिल सके. आइए आपको बताते हैं कि आप किन फसलों की बुवाई अगले महीने कर सकते हैं.

चि‍कनी तोरई

चना, मटर की फसल हो रही बर्बाद, कीटों से बचाने के लिए विशेषज्ञों की राय

चना, मटर की फसल हो रही बर्बाद, कीटों से बचाने के लिए विशेषज्ञों की राय

देश में रबी सीजन की फसलों की बुवाई लगभग खत्म हो गई है. इक्का दुक्का किसान ही खेतों में बुवाई में लगे हुए हैं. देश में चना, मटर की बुवाई भी लगभग पूरी हो चुकी है. चना और मटर सब्जियों में प्रमुख आहार हैं. सर्दी के मौसम में चना, मटर होने पर किसानों को अधिक रखवाली करनी होती है. इस मौसम में फसलें कीट, रोगों की चपेट में आ जाती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि फसल को कीट, रोग से बचाव के लिए जरूरी है कि समय रहते ही फसल के लक्षणों की पहचान कर ली जाए. कीट को भी देखते, परखते रहें. यदि कीट लग गया है तो तुरंत कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर दें. 

चने में लग जाता है फलीभेदक कीड़ा

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