गोद लेकर कृषि वैज्ञानिक करेंगे गांवों का विकास
सांसद आदर्श ग्राम योजना के बाद कृषि वैज्ञानिकों और कृषि छात्रों को एक-एक गांव गोद लेना जरूरी होगा। इससे देशभर में लगभग 50 हजार गांवों में किसानों को खेती के आधुनिक तौर-तरीके समझने में सहूलियत होगी। कृषि क्षेत्र में कैरियर बनाने आए छात्रों को गांव और किसानों को नजदीक से समझने में सुविधा होगी। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने अखिल भारतीय कृषि छात्र संघ के तीसरे वार्षिक समारोह में यह एलान किया।
उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को हर साल एक गांव गोद लेने से उस गांव के साथ ही आसपास के किसानों और उनकी खेती का भला होगा। उन्नत प्रजाति के बीज, अच्छी नस्ल के पशु और खेती से जुड़े अन्य कारोबार में किसानों को काफी फायदा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री सिंह ने कहा कि प्रतिभाशाली युवाओं को कृषि अनुसंधान व शिक्षा के लिए प्रेरित करना है। इसके पहले चरण में 30 हजार कृषि वैज्ञानिकों को यह जिम्मेदारी निभानी होगी। इसके बाद इसमें कृषि की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी जोड़ा जाएगा।
सिंह ने कहा कि देश में कुशल कृषि वैज्ञानिकों और कृषि प्रसार कर्मचारियों की भारी कमी है। इसकी वजह से खेती को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसीलिए किसानों ने राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान की तर्ज पर कई संस्थान स्थापित करने का फैसला किया है। इस दिशा में काम चालू हो चुका है। देश में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्रों की विसंगतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर एक कमेटी इनकी जांच कर रही है। कमेटी हर हाल में 15 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट पेश कर देगी।
एक आकलन के मुताबिक कृषि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले कुल छात्रों में ग्रामीण छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। हालांकि इस क्षेत्र में लड़कियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार ने प्रयोगात्मक शिक्षण, जागरूकता कार्यानुभव, इनप्लांट प्रशिक्षण, औद्योगिक अटैचमेंट के साथ एक वर्षीय कार्यक्रम शुरू किया है। इसका लाभ भी खेती को मिलेगा।
साभार नई दुनिया जागरण