किसान
कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित है। कृषि एक मुख्य विकास था, जो सभ्यताओं के उदय का कारण बना, इसमें पालतू जानवरों का पालन किया गया और पौधों (फसलों) को उगाया गया, जिससे अतिरिक्त खाद्य का उत्पादन हुआ। इसने अधिक घनी आबादी और स्तरीकृत समाज के विकास को सक्षम बनाया। कषि का अध्ययन कृषि विज्ञान के रूप में जाना जाता है जो लोग कृषि के कार्य को करके अपनी जीविका उपार्जन करते है उन्हें किसान कहते है
किसानो को निम्न बिन्दुओ से भी जाना जा सकता है
1. जो फसलें उगाते हैं।
2. कृषक (farmer)
3. खेतिहर – खेती करने वाला।
4. जो खेत और फसल में अपना योगदान देते हैं।
5. जिनके पास स्वयं के खेत है और दूसरे कामगारों से काम करवाते हैं, किसान हैं।
6. किसान खेतों में पसीना बहाकर अन्न उपजाते हैं
लॉक डाउन में किसानों को भूली सरकार
Submitted by Aksh on 25 March, 2020 - 22:11कोरेना वायरस की माहमारी से आज पूरी दुनिया जूझ रही है यह एक वैश्विक संकट है। दुनिया भर में तमाम देश आज लॉक डाउन हो चुके हैं क्योंकि इस समस्या का समाधन ही घर पर रहना, समाज में दूरी बनाकर रखना है।
कल माननीय प्रधानमंत्री जी ने 21 दिनों का लॉक डाउन किया जिसका हम सभी ने स्वागत किया,
माननीय प्रधानमंत्री जी ने सभी विशेष सेवाओं की छूट दी है जिसमें चिकित्सा, खाने पीने का सामान, दूध, सब्जियां आदि।
लेकिन माननीय प्रधानमंत्री जी ने किसानों के लिए कोई विशेष सूचना नही दी,जबकि इनमें से दो तिहाई वस्तुओं का सम्बंध किसानों से है।
गन्ने के साथ सहफसली मैं ले सकते हैं मूंग और उड़द
Submitted by Aksh on 19 March, 2020 - 17:54 किसान अपने गन्ने की बुवाई में सही फसली के रूप में ग्रीष्मकालीन उड़द बाबू की बुवाई कर सकते हैं। गन्ना जो अक्टूबर में लगाया गया था मैं काफी बड़ा हो चुका है उसमें इसे सही पसली के रूप में नहीं ले सकते परंतु जो गन्ना फरवरी और मार्च में बुवाई हुई है उनके बीच में 60 दिन की मूंग या उड़द की फसल को आसानी से लिया जा सकता है।
बसंत कालीन गन्ने में खीरा की फ़सल भी किसानों को लाभकारी सिद्ध होती है।
किसानों की बर्बादी बनकर बरसी की बर्फ, फिर दो दिन बारिश की संभावना
Submitted by Aksh on 13 March, 2020 - 16:30अन्नदाताओं की मुसीबत बन गई है बेमौसम बरसात।किसानों की मुसीबतें दिन व दिन बढ़ती जा रहीं हैं, किसानों की फसल40%से ज्यादा तो नष्ट हो चुकी है फिर भी मुसीबत टली नही है।
बिन मौसम बारिश धरतीपुत्रों के लिए आफत बन गई है। उनके अरमानों पर ओलो रूपी बर्फ गई है। हवा के साथ बारिश के चलते गेहूं की फसल जमीन पर बिछने से न केवल पैदावार पर असर पड़ेगा, निचले हिस्से में पानी जमा होने से फसल गलकर बर्बाद हो जाएगी। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि खेत में ज्यादा पानी भरा है तो किसान उसे निकाल दें। बारिश से सरसों और सब्जियों में भी नुकसान है।