किसान हैल्प

किसान हैल्प किसानों का एक राष्ट्रीय संगठन है।संगठन गैरराजनीतिक है।यह संगठन देश के गरीब किसानों को उनकी फसलों के उचित मूल्य मिले, किसान को सम्मान मिले उसे न्याय मिले इसी उद्देश्य के साथ संगठन कई इकाइयों के साथ देश में कार्य कर रहा है।
इस संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राधा कान्त सिंह हैं, जो एक सफल जैविक किसान हैं।
किसानों को खेती के सहायता के लिए संगठन ने "किसन हेल्प लाइन " के नाम से एक किसान शिक्षा इकाई की स्थापना की जिससे हजारों लाखों किसानों को लाभ मिलता है।

गन्ने की बकाया राशि भुगतान के लिए हरियाणा सरकार ने जारी किये 169 करोड़ रूपये

गन्ने की बकाया राशि भुगतान के लिए हरियाणा सरकार ने जारी किये 169 करोड़ रूपये

हरियाणा में किसानों के हितों को देखते हुए राज्य सरकार ने गन्ने के बकाया के भुगतान के लिए 169 करोड़ रूपये की राशि जारी कर दी है | यह राशि राज्य की दस चीनी मीलों को जारी की गई है और संबंधित अधिकारीयों को निर्देश दिये गये हैं कि राज्य के गन्ना फसल के किसानों के बकाया का भुगतान किया जाए ताकि वर्तमान में उत्पन्न हुई स्थिति में उन्हें सहयोग मिल सकें | किसान समाधान सरकार के तरफ से चीनी मीलों के किये गये 169 करोड़ रूपये भुगतान की पूरी जानकारी लेकर आया है

लॉकडाउन का खामियाजा किसानों पर भारी, तैयार फसल को काटने के लिए नही मिल रहे मजदूर

लॉकडाउन का खामियाजा किसानों पर भारी, तैयार फसल को काटने के लिए नही मिल रहे मजदूर

कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन का खामियाजा उन किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है जिनकी पूरी खेती ही मजदूरों के भरोसे है। कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया को बड़ा आर्थिक नुकसान होने वाला है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से देश-दुनिया को आर्थिक मंदी का भी सामना करना पड़ सकता है। कोरोना वायरस का गंभीर परिणाम देश के किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है। गांवों की हालत ऐसी हो गई है कि ग्वाला लोगों से दूध नहीं खरीद रहा है, क्योंकि मिठाई की दुकानें बंद होने से दूध की सप्लाई नहीं हो रही है। कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन का खामियाजा उन किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है जिनकी पूरी खेती ही मजदूरों के

लॉकडाउन से छूट, खुली रहेंगी बीज-खाद और कीटनाशकों की दुकानें

लॉकडाउन के दौरान किसान को राहत देते हुए सरकार ने खेती से जुड़े कामों की इजाजत दी है. इसके लिए उर्वरकों की दुकानों और खरीद एजेंसियों को भी छूट दी गई है, जिससे कोरोना वायरस की वजह से देशभर में हुए लॉकडाउन के दौरान किसान खेती कर सकें.

क्लाइमेटिक जोन की खेती से आ सकती है कृषि क्षेत्र की रफ्तार

पेट भरने वाला कृषि क्षेत्र अब खुद की समस्याओं के पहाड़ से दबता जा रहा है। उबारने की इसकी जितनी कोशिश की गई, वह उतनी ही मुश्किलों के दलदल में धंसता जा रहा है। हरितक्रांति की सफलता की खुमारी में डूबा कृषि क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा लगातार नजरअंदाज होता रहा, जिसके चलते खेती की मूलभूत जरूरतों और बुनियादी ढांचों पर गंभीरता नहीं बरती गई। यही वजह है कि मौजूदा खेती खुद के साथ किसानों के लिए मुश्किलों का सबब बन गई है। थम गई विकास की दर को बढ़ाने के लिए खेती में वैज्ञानिक बदलाव जरूरी हो गया है।

Pages