Aksh's blog

लॉकडाउन के कारण गन्ना काटने वाले ढाई लाख प्रवासी मजदूर खेतों में फंसे, अनाज खत्म होने के बाद गहराया भोजन का संकट

लॉकडाउन के कारण गन्ना काटने वाले ढाई लाख प्रवासी मजदूर खेतों में फंसे, अनाज खत्म होने के बाद गहराया भोजन का संकट

लॉकडाउन के कारण महाराष्ट्र के अलग-अलग जगहों से गन्ना काटने वाले प्रवासी मजदूरों के फंसे होने की सूचनाएं आ रही हैं. विभिन्न श्रम संगठनों का अनुमान है कि यह संख्या ढाई लाख या उससे भी अधिक हो सकती है. सबसे बुरी स्थिति मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र की है. इसका कारण यह है कि यह इलाका ‘सुगर बेल्ट’ के नाम से जाना जाता है और राज्य भर से अधिकतर गन्ना काटने वाले मजदूर इसी इलाके में प्रवास करते हैं. लॉकडाउन के बाद ऐसे कई मजदूरों ने बताया कि वे गन्ना खेतों में ही फंस गए हैं और अनाज खत्म होने के बाद उनके सामने दो जून की रोटी का सवाल खड़ा हो गया है.

रबी फसलों की बुवाई हेतु उन्नत कृषि यंत्र

रबी फसलों की बुवाई हेतु उन्नत कृषि यंत्र
ट्रैक्टर चालित जीरो टिल ड्रिल
इस यंत्र की बनावट ठीक अन्य सीड ड्रिल्स की ही तरह होती है, परन्तु अन्य सीड ड्रिल्स के मुकाबले इसकी कूड़ बनाने वाली फार बहुत पतले एवं छुरी की तरह होते हैं। इस मशीन का उपयोग खासतौर पर उन खेतों में किया जाता है जहां धान की फसल काटने के बाद नमी की अधिकता के कारण जुताई (बखर) नहीं की जा सकती परन्तु जल्दी बुवाई करना बाध्यता रहती है। इस यंत्र से धान के खेत में गेहूं का अन्य फसल की बुवाई बिना किसी जुताई जोखिम के की जा सकती है। इसे एक साधारण सीड ड्रिल की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य में वृद्धि न करने का भारत सरकार का फैसला निराशजनक

गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य में वृद्धि न करने का भारत सरकार का फैसला निराशजनक

गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य में वृद्धि न करने का भारत सरकार का फैसला निराशजनक, किसान की आत्महत्या बढ़ेगी। 2022 तक किसानों की आय कैसे दोगुनी होगी?

खेती का नाश नही सत्यानाश

खेती  का नाश नही सत्यानाश

भारत की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है | देश के ग्रामीण इलाकों में रहनेवाली आबादी भारी तौर पर कृषि पर ही आधारित है | इस देश का किसान अपनी मेहनत और परिश्रम के बल पर अनाज उगाता है, उसे सींचता है फिर भी उनकी मेहनत का मूल्य उपजाने में लगी लागत से भी कम मिलता है| अब कृषि फायदे का सौदा नहीं रहा| लोग कृषि से दूसरी क्षेत्र की ओर पलायन को मजबूर हो रहे हैं| कृषि पर निर्भर रहनेवाले लोगों की तादाद तेजी से घाट रही है | देश में 45 फीसदी यानी आधे से भी कम लोग कृषि पर निर्भर है | देश का 64% क्षेत्र खेती के लिए मानसून और बारिश की मेहरबानी पर निर्भर है | आबादी बढ़ रही है, खाधान्नों की मांग बढ़ रही है

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