Organic Farming
पिस्ता की खेती
Submitted by Aksh on 11 December, 2022 - 07:45आवश्यक जलवायु
पिस्ता की फसल के लिए मौसम की स्थिति बेहद अहम तत्व है। पिस्ता के बादाम को दिन का तापमान 36 डिग्री सेटीग्रेड से ज्यादा चाहिए। वहीं, ठंड के महीने में 7 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उनके शिथिल अवधि के लिए पर्याप्त है। इसके पेड़ ज्यादा ऊंचाई वाली जगहों पर ठंडे तापमान की वजह से अच्छी तरह बढ़ नहीं पाते हैं। भारत में पिस्ता के नट्स यानी बादाम को बढ़ने के लिए जम्मू-कश्मीर प्राकृतिक जगह है। पिस्ता के लिए आवश्यक
मिट्टी
दीमक एक खतरनाक कीट एवं उसका नियंत्रण
Submitted by Aksh on 9 December, 2022 - 11:19दीमक एक कटिबंधों में सबसे हानिकारक कीटों के हैं और कृषि के क्षेत्र में काफी समस्याएं, पैदा कर सकता है .दीमक कीड़े के एक समूह 2500 प्रजातियां है इनके घोंसलों भूमिगत होते है, इसके रोकथाम के लिए कुछ उपाय निम्न हैं
१- मटका विधि :-
आवश्यक सामग्री
1-मक्का के भुट्टे की गिंड़याँ
2- मिटटी का घड़ा
3- सूती कपडा
फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का विशेष महत्व
Submitted by Aksh on 8 December, 2022 - 14:42अधिक उत्पादन प्राप्त करने के कारण भूमि में पोषक तत्वों के लगातार इस्तेमाल से सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दिनोदिन
क्रमश: बढती जा रही है। किसान मुख्य पोषक तत्वों का उपयोग फलसों में अधिकांशत: करते है एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का
लगभग नगण्य उपयोग
होने की वजह से कुछ वर्षो से भूमि में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्ष्ण पौधों पर दिखाई दे रहे है। पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर
उसके लक्ष्ण पौधों में प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने लगते है। इन पोषक तत्वों की कमी केवल इन्हीं के द्वारा पूर्ति करके की जा सकती है।
फसलों के दुश्मन वाइट ग्रब- एक परिचय एवं रोकथाम
Submitted by kisanhelp on 7 December, 2022 - 22:00सब्ज़ी फ़सल उत्पादन में एकीकृत कीट प्रबंधन
Submitted by kisanhelp on 4 December, 2022 - 22:07एकीकृत कीट प्रबंधन, Integrated pest management (आईपीएम) एक गतिशील और उभरती हुई प्रणाली है, जिसमें सभी उचित नियंत्रण कार्यनीति और उपलब्ध सर्विलांस व पूर्वानुमान की जानकारी को स्थायी फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकियों के हिस्से के रूप में उचित अंतराल पर किसानों को वितरित एक समग्र प्रबंधन कार्यक्रम में जोड़ा जाता है.
आईपीएम या एकीकृत कीट प्रबंधन नाशीजीवों के कंट्रोल के लिए बड़े पैमाने पर अपनाई जाने वाली एक विधि है. आईपीएम का लक्ष्य नाशीजीवों की तादाद एक सीमा के नीचे बनाए रखना है. इस सीमा को आर्थिक क्षति सीमा कहा जाता है.
मटर की खेती
Submitted by kisanhelp on 2 December, 2022 - 21:55मटर की फसल के लिए उन्नत विधि
खेत की तैयारी- मटर की खेती के लिए गंगा के मैदानी भागों की गहरी दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. हालांकि मटर की खेती बलुई, चिकनी मिट्टी में भी आसानी से की जा सकती है. खरीफ की कटाई के बाद खेत को दो से तीन बार हल से अच्छी तरह जोताई कर दें. अब इस पर पाटा लगा दें. बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए मिट्टी में नमी होना जरूरी है.
अमरूद की खेती करने का तरीका और फायदे
Submitted by kisanhelp on 6 June, 2022 - 12:12यह भारत में उगाई जाने वाली चौथी फसल है. वहीं, इसकी खेती देशभर में की जाती है. बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के अलावा पंजाब और हरियाणा में भी इसकी खेती की जाती है. पंजाब में अमरूद की खेती 8022 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है और औसत उपज 160463 मीट्रिक टन है. यही कारण है कि इन दिनों अमरूद की बागवानी जोरों पर की जा रही है.
ऐसे में अगर आप भी अमरूद की खेती करना चाहते हैं या इसकी पूरी जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो कृषि जागरण का यह लेख आपके लिए ही है-
मिट्टी का चुनाव
धान की नर्सरी तैयार करने का तरीका
Submitted by kisanhelp on 27 May, 2022 - 10:05भारत में, धान खरीफ मौसम का एक महत्वपूर्ण फसल है. धान का राष्ट्रीय आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता क्रमशः 44.16 मिलीयन हेक्टेयर, 116.48 मिलीयन टन एवं 2638 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है (स्रोतः कृषि सांख्यिकी एक नजर में, 2020), यदि इन ऑकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करें तो देश में धान के फसल की उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाने की आपार संभावनाएं एवं संसाधन उपलब्ध हैं
कम पानी में कई फसलें उगाने की उन्नत तकनीक
Submitted by kisanhelp on 23 May, 2022 - 21:27सघन खेती भी कहा जाता है. इस तकनीक को अपनाकर किसान कम भूमि के साथ-साथ कम पानी में कई फसलों की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. वर्तमान समय में कई किसानों का भी रुझान इस तकनीक की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि इसमें कम भूमि के साथ–साथ पानी की आवश्यकता भी ज्यादा नहीं पड़ती है.
इसलिए किसानों के लिए यह तकनीक काफी सफल साबित हो रही है. सघन खेती से किसानों की आमदनी में इजाफा होता है साथ ही पैदावार भी अच्छी प्राप्त होती है. तो चलिए जानते हैं सघन खेती/ गहन खेती क्या है और इससे किसानों को क्या लाभ मिल रहा है.
सघन खेती के लाभ