Organic Farming

पपीता का उन्नत जैविक खेती

जलवायु -
पपीता यद्यपि उष्ण जलवायु का पौधा है , फिर भी यह उपोष्ण जलवायु में अच्छी तरह उगाया जाता है इसका उत्पादन समुद्र तल से 100 मीटर कि उचाई तक सुगमता से होता है . 12 डिग्री से . से नीचे का तापमान इसकी उत्पादकता को प्रभावित करता है . इसके लिए 20-25 डिग्री से . तापक्रम . उचित रहता है . जल भराव , ओला तथा अधिक तेज हवाएं इसे नुकसान है पहुंचाती .

तेजपत्ता ( दालचीनी) की जैविक उन्नत खेती

Kisanhelp.in खेती और कृषि मुद्दों से संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे किसानों को कृषि तकनीक को समझने में किसानों की मदद करने वाली वेबसाइट हैं ।

वैज्ञानिक नाम

 

सिनामोममतमाला

 

 कुल

लोरेसी

अन्य नाम

 

दालचीनी, तमालका, इंडियन केसिया

प्राप्ति स्थान

 

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, जम्मू कश्मीर, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश

पादप परिचय

 

यह एक सीधा बहुवर्षिय पेड़ होता है इसके पेड़ 100 वर्षो तक उपज देते हैं तथा लागत कम लगा कर अच्छा लाभ मिलता है।

गौ वंश जैविक पंचगव्य का प्रयोग एवं महत्व

1. पंचगव्य

पंचगव्य , एक कार्बनिक उत्पाद विकास को बढ़ावा देने और संयंत्र प्रणाली में उन्मुक्ति प्रदान करने की भूमिका निभाने की क्षमता है। पंचगव्य नौ उत्पादों अर्थात के होते हैं। गाय के गोबर , गोमूत्र , दूध, दही , गुड़ , घी , केला, टेंडर नारियल और पानी। उपयुक्त रूप से मिलाया जाता है और इस्तेमाल किया, इन चमत्कारी प्रभाव है।

गाय के गोबर - 7 किलो
गाय घी - 1 किलो
सुबह और शाम के समय में ऊपर के दो मुद्दों को अच्छी तरह से दोनों मिक्स और 3 दिन के लिए रखना

हल्दी की उन्नत जैविक खेती

हल्दी जिंजिवरेंसी कुल का पौधा हैं। इसका का वानस्पतिक नाम कुर्कमा लांगा हैं। इसकी उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशिया में हुई हैं। हल्दी का उपयोग प्राचीनकाल से विभिन्न रूपों में किया जाता आ रहा हैं, क्योंकि इसमें रंग महक एवं औषधीय गुण पाये जाते हैं। हल्दी में जैव संरक्षण एवं जैव विनाश दोनों ही गुण विद्यमान हैं, क्योंकि यह तंतुओं की सुरक्षा एवं जीवाणु (वैक्टीरिया) को मारता है। इसका उपयोग औषधीय रूप में होने के साथ-साथ समाज में सभी शुभकार्यों में इसका उपयोग बहुत प्राचीनकाल से हो रहा है। वर्तमान समय में प्रसाधन के सर्वोत्तम उत्पाद हल्दी से ही बनाये जा रहे हैं। हल्दी में कुर्कमिन पाया जाता हैं तथा इससे ए

इलायची की जैविक खेती

छोटी इलायची एक मध्य पूर्व के बाजार में मसाले के बाद की मांग की है। यह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में खेती की जाती है। भारत इलायची के छोटे cardamom.In जैविक खेती का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, का पालन किया जाना तरीकों के प्रयोजन के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप होना चाहिए। विस्तृत कम से कम 25 मीटर की अलगाव बेल्ट सभी पारंपरिक वृक्षारोपण भर से छोड़ा जा सकता है। इस क्षेत्र से उपज जैविक रूप में इलाज नहीं किया जाएगा। तीन साल के एक रूपांतरण अवधि जैविक खेती के लिए एक मौजूदा वृक्षारोपण के लिए आवश्यक है। Replanted और नए लगाए क्षेत्रों के लिए, चौथे वर्ष से उपज के बाद ही जैविक उत्पाद के रूप में विचार क

बड़ी इलायची/लार्ज कार्डेमम की उन्नत खेती

व्यवसायिक स्तर पर इसको बड़ी इलायची/लार्ज कार्डेमम के नाम से जाना जाता है। जिन्जिबरेसी कुल के इस पौधे का वानस्पतिक नाम एमोमम सुबुलेटम है। तना 0.9-2.0 मीटर तक लम्बा पत्तियां 30-60 सेमी. लम्बी 6 से 9 सेमी. चौडी, रंग हरा व दोनों तरफ रोम रहित होती है। पुष्पवृंत गोल छोटे वृन्त वाला तथा सहपत्र लाल भूरे रंग के अधिक घने व अण्डाकार कटींले व नोकदार होते है। कैप्सूल (फल) 2.5 सेमी. गोलाकार, लाल भूरे रंग का घना व हल्का कण्टीला होता है।

उपयोग

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