Organic Farming

सूरजमुखी की खेती

सूरजमुखी की बुवाई ज़ायद सीजन में फरवरी के दूसरे पखवार में करना उपयुक्त माना जाता है. बता दें कि यह फूल  सूरज की दिशा में मुड़ जाता है, इसलिए इसको सूरजमुखी कहा जाता है. यह एक महत्तवपूर्ण तिलहनी फसल है, जिसमें तेल, अच्छे स्वाद और लिनोलिक एसिड की मात्रा पाई जाती है. किसानों के लिए सूरजमुखी की खेती (Farming of sunflower) की काफी अच्छी मानी जाती है, तो आइए आज आपको सूरजमुखी की खेती की सारी जानकारी देते हैं.

उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

ज्वार की उन्नत खेती

भारत वर्ष में 1970 में 9 मि. टन ज्वार पैदा होती थी जो 1980 में बढ़कर 12 मि. टन पहुँच गई तथा 1990 में इतनी ही पैदावार स्थिर रही जो 2006 तक स्थिर रही लेकिन इसका क्षेत्रफल काफी कम हो गया। क्षेत्रफल कम होने के बावजूद पैदावार में कमी न आने का कारण उन्नत किस्में व तकनीकी रही। भारत में ज्वार 8.7 मि.है. क्षेत्रफल में जिसमें 3.9 मि.है. खरीफ में तथा 4.8 मि.है. रबी मौसम में उगाई जाती है। दुनिया में ज्वार के अन्तर्गत, कुल क्षेत्रफल का 20 प्रतिशत क्षेत्र भारत में आता है। खरीफ के मौसम में उत्पादकता 1345 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर तथा रबी में 480 कि.ग्रा.

अग्निमंथ की उन्नत खेती

बड़ी अरणी क्या है? 

बड़ी अरणी का पेड़ पहाड़ों पर पाया जाता है. बड़ी अरणी और छोटी अरणी में मुख्य अंतर यह है कि बड़ी अरणी का तना काफी बड़ा और मजबूत होता है. इसकी शाखाएं भी विपरीत दिशाओं में दूर तक फैली होती हैं जबकि छोटी अरणी का पौधा आकार में छोटा होता है. ग्रंथों के अनुसार बड़ी अरणी की तासीर गर्म होती है और अग्नि की तरह इसमें रोगों को तुरंत खत्म करने की क्षमता होती है. इसीलिए इसे संस्कृत में अग्निमंथ नाम दिया गया है. 

 

कटहल की खेती

कटहल कच्चा हो या पका हुआ, इसको दोनों प्रकार से उपयोगी माना जाता है, इसलिए बाजार में इसकी मांग ज्यादा होती है. इसकी बागवानी यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के कई राज्यों में होती है, तो आइए आज आपको कटहल की खेती की पूरी जानकारी देते हैं.

उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

कटहल की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में हो जाती है, लेकिन फिर भी इसकी बागवानी के लिए गहरी दोमट और बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है. इसकी खेती में अच्छा जल विकास होना चाहिए. इसके अलावा कटहल उष्ण कटिबन्धीय फल है, इसलिए इसको शुष्क और नम, दोनों प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है.

लोबिया की उन्नत खेती

जलवायु लोबिया वर्षा तथा ग्रीष्म ऋतू में उगाई जाने वाली फसल है , दक्षिणी भारत में इसकी खेती रबी मौसम में भी की है जाती , लोबिया में मक्का की अपेक्षा सूखा तथा गर्मी को सहन करने की क्षमता अधिक होती है , इसकी खेती के लिए ट्रोपिकल तथा सब - ट्रोपिकल जलवायु उत्तम रहती है , इसकी खेती के लिए 12-15 डिग्री सेल्सियस तापक्रम अनुकूल रहता है , फसल की समुचित बढ़वार के लिए 27-35 डिग्री सेल्सियस तापक्रम अनुकूल रहता है , लोबिया की वृद्धि पर पाले तथा कम तापक्रम का बुरा प्रभाव पड़ता है 

जामुन को लगने वाले प्रमुख रोग और उनका उपचार

 जामुन 50 से 60 साल तक फल देने में सक्षम है. वैसे इसे भारत की अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओं में इसे अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है. कुछ लोग इसे राजमन बोलते हैं तो कुछ के लिए यह जमाली है. फिर भी आमतौर पर हिंदी में इसे जामुन ही कहा जाता है. भारत के लगभग हर राज्य में जामुन की खेती की जाती है जिसका एक कारण यह भी है कि पैदावार की दृष्टि से यह फ़ायदेमंद है.

चलिए आज हम आपको इस वृक्ष पर लगने वाले कीटों और जीवाणु जनित रोगों के बारे में बताते हैं. यह जानना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि लबालब फलों से भरा पेड़ भी कीटों के प्रभाव से नष्ट हो सकता है.

बरबटी की खेती

फल्लीदार सब्जियों में बरबटी का एक प्रमुख स्थान हैं, जो की भारत वर्ष में उगायी जाती हैं। इसे गर्मी और बरसात दानों मौसम में उगाया जाता हैं। इसका प्रयोग दाल और हरी फल्लियों की सब्जी के रूप में किया जाता हैं। यह प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत हैं। तथा इसकी खेती से भूमि की उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होती हैं।

बरबटी उत्पादन के लिए भूमि का चुनाव

अच्छे जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमियों में इसकी खेती की जा सकती हैं परन्तु अधिक उपज प्राप्त करने के लिये दोमट मिट्टी सर्वोत्तम पाई गयी हैं।

बरबटी उत्पादन के लिए भूमि की तैयारी

कोल फसलों की उत्पादन तकनीक

 

कोल फसलों की उत्पादन तकनीक

जलवायुः

गोभीः गोभी को सर्दियों के दौरान उगाया जाता है और 15 सेल्सियस के इष्टतम औसत तापमान की आवश्यकता होती है, औसत 24 सेल्सियस और न्यूनतम 4 या 5 सेल्सियस होता है। ये फसले अति ठण्ड को सहन कर सकती है और तापमान को शून्य से 3 सेल्सियस तक कम भी हो तो सहन कर सकती है। देश के गर्म क्षेत्रों में कुछ उष्णकटिबंधीय प्रकार पूरे वर्ष उगाए जा सकते हैं।

फूलगोभी :

आम के फूलों में लग रहा ये ख़ास कीट

इन दिनों आम की बाग में फूल आना शुरू हो रहे हैं लेकिन बागवानों के लिए एक बड़ी मुसीबत सामने आयी है. ज़्यादातर आम के पेड़ों में दिसंबर तक फूल निकलने की शुरुआत हो जाती है  लेकिन कोहरा न पड़ने से बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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