Organic Farming
टमाटर की वैज्ञानिक खेती
Submitted by Aksh on 2 June, 2015 - 11:43जलवायु और मिट्टी
टमाटर गर्मी के मौसम की फ़सल है और पाला नहीं सहन कर सकती है। 12 डिग्री से०ग्रे० से 26 डिग्री से०ग्रे० के तापमान के बीच इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। रात का आदर्श तापमान 25 डिग्री से०ग्रे० से 20 डिग्री से०ग्रे० है। टमाटर की फ़सल पोषक तत्वों से युक्त दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है। लेकिन इसकी अगेती क़िस्मों के लिए बलुई तथा दोमट बलुई मिट्टी अधिक उपयुक्त है। इसके अलावा यदि जल निकास की व्यवस्था अच्छी हो तो इसे मटियार तथा तलहटी दोमट में भी उगाया जा सकता है।
टमाटर की क़िस्में
टमाटर की खेती
Submitted by Aksh on 2 June, 2015 - 11:03बाजरा की ओरगेनिक खेती
Submitted by Aksh on 31 May, 2015 - 23:40आधुनिक तरीके से करें बाजरे की खेती
Submitted by Aksh on 31 May, 2015 - 23:37प्रागैतिहासिक काल से अफ्रीका एवं एशिया प्रायद्विप में होती रही है. तमाम मौसम संबंधित कठोर चुनौतियों का सामना खासकर सूखा को आसानी से सहने के कारण राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्रा, ओडीसा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं अन्य सुखा ग्रस्त क्षेत्रों की यह महत्वपूर्ण फसल है. समस्त अनाजवाली फसलों में सूखा के प्रति सर्वाधिक प्रतिरोधक क्षमता बाजरा में पायी जाती है. इसके दानों में 12़4 प्रतिशत नमी, 11़6 प्रतिशत प्रोटीन, 5 प्रतिशत वसा, 67 प्रतिशत काबरेहाइड्रेट एवं 2़7 प्रतिशत मिनरल (लवण) औसतन पाया जाता है. इसे चावल की तरह या रोटी बनाकर खाया जा सकता है.
ज्वार की वैज्ञानिक खेती
Submitted by Aksh on 31 May, 2015 - 23:28अधिक लाभ के लिए मक्का की खेती
Submitted by Aksh on 30 May, 2015 - 17:43
पौष्टिक महत्व:
बेबी कॉर्न एक स्वादिष्ट पौष्टिक आहार है तथा पत्तों में लिपटे रहने के कारण कीटनाशक रसायनों के प्रभाव से लगभग मुक्त होती है | इसमें फास्फोरस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है | इसके अलावा इसमें कार्बोहाईड्रेट्स, प्रोटीन, कैल्सियम, लोहा व विटामिन भी पाई जाती है | पाचन (डाइजेशन) के दृष्टि से भी यह एक अच्छा आहार है इसे कच्चा या पका कर खाया जा सकता है | इसके अनेक प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे – सूप, सलाद, सब्जियाँ, कोफ़्ता, पकौड़ा, भुजिया, रायता, खीर, लड्डू, हलवा, आचार, कैन्डी, मुरब्बा, बर्फी, जैम इत्यादि
मूंग की प्रमुख, बिमारियां एवं उनकी रोकथाम
Submitted by Aksh on 30 May, 2015 - 17:34तम्बाकू की इल्ली
व्यस्क पतंगों के अगले पंख सुनहरे भूरे रंग के सफेद धारिया लिये होती है। पिछले पंखों पर भूरे रंग की शिराएं होती है। इल्लीयां हरे मटमैले रंग की होती है जिनके शरीर पर पीले हरे एवं नारंगी रंग की लम्बवत धारियां होती है। उदर के प्रत्येक खण्ड के दोनो ओर काले धब्बे होते है।
लक्षण
इल्ली प्रारंभिक अवस्था में समुह में रहकर पत्तियों के पर्ण हरित पद्रार्थो को खाती है। जिससे पौधों की सभी पत्तियां सफेद जालीनूमा दिखाई देती है।
नियंत्रण
मधुमक्खी पालन कैसे करें ?
Submitted by Aksh on 30 May, 2015 - 17:08मधुमक्खी पालन कृषि से ही जुड़ा एक व्यवसाय है । जिसमें कम लागत और अधिक मुनाफा है । कृषि से जुड़े लोग या फिर बेरोजगार युवक इस व्यवसाय को आसानी से अपना सकते है । कृषिभूमि आपको यह व्यवसाय करने की राह बताने जा रहा है ।
मधुमक्खी पालन उद्योग करनेवालों की खादी ग्राम उद्योग कई मात्रा में मदद करता है । मधुमक्खी पालन एक लघु व्यवसाय है, जिससे शहद एवं मोम प्राप्त होता है। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का पर्याय बनता जा रहा है। गौर करनेवाली बात यह है कि शहद उत्पादन के मामले में भारत पांचवें स्थान पर है।
मूंग की खेती किसानो की आय का अच्छा साधन
Submitted by Aksh on 30 May, 2015 - 16:44जलवायु मूंग की फसल सभी मौसमों में उगाई जाती है , उत्तरी भारत में इसे वर्षा ( खरीफ ) तथा ( ग्रीष्म ) ऋतू में उगाते हैं , दक्षिणी भारत में मूंग को रबी मौसम में उगाते हैं , इसकी फसल के लिए अधिक वर्षा हानिकारक होती है , ऐसे क्षेत्रों में जहाँ 60-75 सेमी तक वार्षिक वर्षा होती है मूंग की खेती के लिए उपयुक्त हैं पर , मूंग की फसल के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता पड़ती है , मूंग की खेती समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई तक की जा सकती है , पौधों पर फलियाँ आते समय तथा फलियाँ पकते समय शुष्क मौसम तथा उच्च तापक्रम अधिक लाभप्रद होता है .
भूमि का चुनाव एवं तैयारी