Organic Farming

आओ जानें कैसे तैयार करें गूटी विधि से पौधों की नर्सरी

गूटी विधि में गूटी बांधने का तरीका

गूटी को बांधने का सही समय जुलाई से अगस्त तक का माना जाता है. इस विधि में जिस फलदार पेड़ की नर्सरी के लिए पौध तैयार करनी है, उसकी सीधी टहनियों को 1 से 2 फुट नीचे से चाकू से चारों तरफ करीब 3 इंच की दूरी से मारकर छिलके उतार दिए जाते हैं. इसके बाद छिलके की जगह पर मास घास  लगाई जाती है और इसको पन्नी से लपेटते हुए सूतली से कसकर बांध दिया जाता है. इस प्रक्रिया के करीब 5 दिन बाद गूटी में जड़ें फूटने लगती हैं.

बेहतर उपज के लिए फरवरी माह में कृषि एवं बागवानी कार्यों को करें

बसंत कालीन के समय में कृषि और बागबानी कार्य करने के लिए क्या क्या करना चाहिए यह किसानों को जानकारी होना अति आवश्यक है ,किसान भाई समय के अनुसार अपनी फसलों की देखवल कर सकते हैं 

सब्जियों की खेती

- आलू और टमाटर की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए मैंकोजेब 1.0 किग्रा 75 प्रतिशत हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

बजट 2020 में किसानों को क्या मिला?

सरकार का बजट 2020 में किसानों को कुछ विशेष क्या मिला क्या छूटा, किसानों को क्या विशेष मिल सकता है इस पर बजट पर एक नजर-
उन राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा जो केंद्र के मॉडल लॉ को मानेंगे।
-पानी की कमी की समस्या, 100 ऐसे जिलों के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे।
-अन्नदाता ऊर्जादाता भी है। पीएम कुसुम स्कीम से फायदा हुआ है। अब हम 20 लाख किसानों को सोलर पंप देंगे।
-15 लाख किसानों को ग्रिड कनेक्टेड पंपसेट से जोड़ा जाएगा।
-अगर बंजर जमीन है तो सोलर पावर जेनरेशन यूनिट लगा सकते हैं, उसे ग्रिड को बेच भी सकते हैं।

गुड़मार की खेती

विश्‍व में पाये जाने वाले अनेकों बहुमूल्‍य औषधीय पौधों में गुड़मार एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है। यह एस्‍कलपिडेसी कुल का सदस्‍य है। इसका वानस्‍पतिक नाम जिमनिमा सिलवेस्‍ट्री है। गुड़मार के पत्‍ते तथा जड़ औषधीय रूप में उपयोग किये जाते हैं।गुड़मार या मेषश्रृंगी एक बहुत उपयोगी जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में इसके पत्तों और जड़ को औषधीय रूप से प्रयोग किया जाता है। जैसा की नाम से ही पता चलता है, यह जड़ी-बूटी गुड़ अर्थात मीठेपन को नष्ट करती है। इसका सेवन मधुमेह में बढ़ी हुई रक्तशर्करा को कम करता है। यह मधुमेह, जिसे डायबिटीज भी कहा जाता है, के उपचार में प्रभावी है। गुड़मार के पत्ते स्वाद में कुछ नमकीन-कड़वे होते ह

बेर की खेती

शुष्क क्षेत्र बागवानी में बेर का प्रमुख स्थान है। वर्षा आधारित उद्यानिकी में बेर एक ऐसा फलदार पेड़ है जो कि एक बार पूरक सिंचाई से स्थापित होने के पश्चात वर्षा के पानी पर निर्भर रहकर भी फलोत्पादन कर सकता है। शुष्क क्षेत्रों में बार-बार अकाल की स्थिति से निपटने के लिए भी बेर की बागवानी अति उपयोगी सिद्ध हो सकती है। यह एक बहुवर्षीय व बहुउपयोगी फलदार पेड़ है जिसमें फलों के अतिरिक्त पेड़ के अन्य भागों का भी आर्थिक महत्व है। इसकी पत्तियाँ पशुओं के लिए पौष्टिक चारा प्रदान करती है जबकि इसमें प्रतिवर्ष अनिवार्य रूप से की जाने वाली कटाई-छंटाई से प्राप्त कांटेदार झाड़ियां खेतों व ढ़ाणियों की रक्षात्मक बाड़ ब

भारत में पाई जाने वाली मिट्टी, उनके क्षेत्र और उनमें होने वाली फसलें

दुनिया की ज्यादातर फसलें, फल और सब्जियां मिट्टी में होती हैं। लेकिन हर तरह की मिट्टी की एक खासियत होती है और उसमें उसके अनुरुप वाली ही फसलें उगती हैं। आज हम आपको बताते हैं, आप को कौन सी मिट्टी में कौन सी फसल लेनी चाहिए
हमारे देश में एक कहावत है - मिट्टी का तन है मिट्टी में मिल जाएगा। इस बात से हमारी ज़िंदगी में मिट्टी की क्या उपयोगिता है ये समझ आ जाता है। कैल्शियम, सोडियम, एल्युमिनियम, मैग्नीशियम, आयरन, क्ले और मिनरल ऑक्साइड के अवयवों से मिलकर बनी मिट्टी वातावरण को संशोधित भी करती है।

ऊसर भूमि को सुधार कैसे करें

ऊसर सुधार का कार्य मई के अंतिम अथवा जून के प्रथम सप्ताह से प्रारम्भ करना चाहिए। सर्वप्रथम खेत की जुताई करके उसकी मेड़बन्दी कर लें। इसके उपरान्त जिप्सम की आवश्यक मात्रा को खेत में समान रूप से बिखेर कर लगभग 10 सेमी० गहराई तक मिट्टी में मिला दें। जिप्सम मिलाने के तुरन्त बाद खेत में पानी भर दें जो लगभग दो सप्ताह तक भरा रहना चाहिए। ध्यान रहे कि खेत में लगभग 10-15 सेमी० ऊंचाई में पानी अवश्य भरा रहे। ऐसा करने से यह ऊसर भूमि को घुलनशील लवण तथा सोडियम निचली सतहों में निक्षालित हो जाते हैं। जिसे मृदा अम्ल अनुपात एवं पी०एच० कम हो जाता है।

किसान जिप्सम का उपयोग क्यों, कब और कैसे करें ?

किसान फसल उगाने के लिए सामान्यत: नत्रजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम का उपयोग करते है, कैल्शियम एवं सल्फर का उपयोग नहीं करते है। जिससे कैल्शियम एवं सल्फर की कमी की समस्या धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर रही है, इनकी कमी सघन खेती वाली भूमि, हल्की भूमि तथा अपक्षरणीय भूमि में अधिक होती है। कैल्शियम एवं सल्फर संतुलित पोषक तत्व प्रबन्धन के मुख्य अवयवको में से है जिनकी पूर्ति के अनेक स्त्रोत है इनमें से जिप्सम एक महत्वपूर्ण उर्वरक है।

धान की जैविक खेती

भूमि का चुनाव

धान कि खेती के लिए अच्छी उर्वरता वाली समतल व अच्छे जलधारण क्षमता वाली मटियार या चिकनी मिटटी सर्वोत्तम होती है सिचाई कि पर्याप्त सुबिधा होने पर हलकी भूमियों में भी धान कि खेती सफलता पूर्वक कि जा सकती है .

खेत की तैयारी

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