Organic Farming

शलजम की खेती

शलजम स्वाद में जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही स्वास्थ के लिए लाभकारी भी है | किन्तु आप यह जरूर जान ले कि शलजम किसी बीमारी का उपचार नहीं है, यह सिर्फ रोग से बचाव और लक्षण को कम करने में कुछ हद तक कारगार है शलजम (टरनिप) एक सफेद कंदमूल वाली सब्जी है, जो पोष्टिकता से भरपूर होने के कारण स्वास्थवर्धक होती है। इसमें कैलोरी बहुत कम होती है। इसलिए जो किसान स्वस्थ रहना चाहते है, उनके लिए बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन आयुर्वेद में शलजम को खाने के अलावा औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है।

शलजम में मौजूद पोषक तत्व

सहफसली खेती से सुधरेगी मिट्टी की सेहत

सहफसली खेती से सुधर रही मिट्टी की सेहत
मिट्टी की उर्वरा शक्ति  और उत्पादन में चोली-दामन का संबंध है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति के अनुसार ही उसकी उत्पादन क्षमता प्रभवित होती है। अगर खेतों में सहफसली कृषि की जाए तो मिट्टी की सेहत के साथ-साथ उत्पादन भी बेहतर हो जाता है।

सूक्ष्म जीवों से पा सकते हैं कीटों और रोगों से छुटकारा

 ज्यादा उत्पादन की चाह में अत्याधिक रसायनिक कीटनाशकों के प्रयोग से इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। किसान अब यह अनुभव करने लगा है कि रासायनिक कीटनाशक अब उन्हीं शत्रु कीटों पर बेअसर हो रहे है, जिनपर वो रसायन प्रयोग कर पहले छुटकारा पा जाते थे।

ऐसे में प्रकृति में बहुत से ऐसे सूक्ष्मजीव हैं जैसे विषाणु ,जीवाणु एवं फफूंद आदि हैं जो शत्रु कीटों में रोग उत्पन्न कर उन्हें नष्ट कर देते है, इन्ही विषाणु, जीवाणु, एवं फफूंद आदि को वैज्ञानिकों ने पहचान कर प्रयोगशाला में इन का बहुगुणन किया तथा प्रयोग हेतु उपलब्ध करा रहे हैं, जिनका प्रयोग कर किसान लाभ ले सकते हैं।

गांठ गोभी की खेती

गांठ गोभी में एन्टी एजिंग तत्व होते हैं। इसमे विटामिन बी पर्याप्त मात्रा के साथ-साथ प्रोटीन भी अन्य सब्जियों के तुलना में अधिक पायी जाती है उत्पति स्थल मूध्य सागरीय क्षेत्र और
साइप्रस में माना जाता है। पुर्तगालियों द्वारा भारत में लाया गया।  जिसका उत्पादन देश के प्रत्येक प्रदेश में किया जाता है । गांठ गोभी में विशेष मनमोहक सुगन्ध ‘सिनीग्रिन’ ग्लूकोसाइड के कारण होती
है। पोष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ तथा कैल्शियम, फास्फोरस खनिज होते है। 
 
जलवायु 

मसूर की फसल में प्रमुख कीट और रोगों पर समेकित नियंत्रण

मसूर का दलहनी फसलों में महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी खेती रबी ऋतु में की जाती है। भारत में मसूर की खेती प्रमुखतः मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र बिहार पं बंगाल व राजस्थान में होती है।मसूर की फसल को बहुत से हानिकारक कीट और रोग नुकसान पहुचाते है| जिससे किसानों को मसूर की फसल से अपनी इच्छित उपज प्राप्त नही हो पाती है| यदि समय पर आर्थिक स्तर से अधिक हानि पहुचाने वाले कीट एवं रोगों पर नियंत्रण कर लिया जाए तो मसूर की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है| इस लेख में मसूर की फसल में प्रमुख कीट और रोगों पर समेकित नियंत्रण कैसे करें

म्लानि (उकठा रोग)

जीरा की उन्नत खेती

जीरा का वानस्पतिक नाम है Cuminum cyminum । भारत में यह 'जीरा' या हिंदी में 'Zeera' के रूप में जाना जाता है। यह विभिन्न खाद्य तैयारी स्वादिष्ट बनाने के लिए भारतीय रसोई में इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण मसाला है। जीरा का स्वाद एक वाष्पशील तेल की उपस्थिति की वजह से है। जीरा के स्वदेशी किस्मों में, इस वाष्पशील तेल 2.5-3.5% तक मौजूद है। जीरा बड़े पैमाने पर भी विशेष रूप से मोटापा, पेट दर्द और dyspesia जैसी स्थितियों के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है।17.7% प्रोटीन, 23.8% वसा, 35.5% कार्बोहाइड्रेट और 7.7% खनिज इस प्रकार है: जीरा के पोषण का महत्व है।

मचान खेती के हैं अनेकों फ़ायदे, इस विधि से उगाएं सब्ज़ियां

भारत में कई सब्जियां मचान पर उगाई जाती हैं, इन्हें स्थानीय किसान ‘पंडाल’ कहते हैं. मचान खेती कृषि पद्धति के रूप में 14वीं और 15वीं शताब्दी से चली आ रही है.

भारत में कृषि पद्धतियों का कई हज़ार वर्षों का इतिहास रहा है, जिसके शुरुआती साक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता के स्थलों, जैसे कि हरियाणा में भिरड़ाणा और राखीगढ़ी, गुजरात में धोलावीरा में पाए जाते हैं. विविधता भारतीय जीवन शैली के विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्ध रूप से मनाई जाती है और कृषि कोई अपवाद नहीं है.

पत्ता गोभी (बंद गोभी) की खेती

पत्ता गोभी की खेती
यह रबी मौसम की एक महत्वपूर्ण सब्जी है । पत्ता गोभी, उपयोगी पत्तेदार सब्जी है। उत्पति स्थल मूध्य सागरीय क्षेत्र और
साइप्रस में माना जाता है। पुर्तगालियों द्वारा भारत में लाया गया।  जिसका उत्पादन देश के प्रत्येक प्रदेश में किया जाता है । इसे बन्धा तथा बंदगोभी के नाम से भी पुकारा जाता है । पत्ता गोभी में विशेष मनमोहक सुगन्ध ‘सिनीग्रिन’ ग्लूकोसाइड के कारण होती
है। पोष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ तथा कैल्शियम, फास्फोरस खनिज होते है। इसका उपयोग सब्जी और सलाद के रूप में किया जाता है। सुखाकर तथा आचार तैयार

चुकंदर की खेती

गन्ने के बाद चुकंदर (Sugar beet) दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादन का श्रोत है. यह एक छोटी अवधि (6-7 महीने) का फसल है. शुगर बीट की खेती से पहले किसान सुगरमिल या अन्य हितधारकों से संपर्क कर उत्पाद की मार्केटिंक सुनिश्चित कर सकते हैं. ताकि मांग के अनुसार वह शुगर बीट का उत्पादन करें. आज कृषि जागरण के इस लेख के माध्यम से हम किसानों को चुकंदर (Sugar beet) की खेती की जानकारी दे रहे हैं. ताकि किसान इस रबी सीजन बंपर उत्पादन कमा कर अच्छी आय अर्जित कर सकें.

सौंफ के प्रमुख रोग एवं उनका जैविक उपचार

सौंफ उत्पादन तथा बीज मसाला निर्यात के हिसाब से भारत का प्रथम स्थान है। मसाले हमारे खाद्य पदार्थों को स्वादिष्टता तो प्रदान करते ही है साथ ही हम इससे विदेशी मुद्रा भी अर्जित करते हैं। सौंफ की मुख्य फसल है, इनमें कई रोग लग जाते हैं जिससे इन बीज मसालों के उत्पादन के साथ गुणवता भी गिर जाती है तथा निर्यात प्रभावित होता है। इस फसल के रोग तथा इनका प्रबन्धन इस प्रकार है

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