Organic Farming

कुंदरू की जैविक खेती

भूमि का चुनाव :-

इसे भारी भूमि छोड़कर किसी भी भूमि में उगाया जा सकता है किन्तु उचित जल निकास वाली जीवांशयुक्त रेतीली या दोमट भूमि इसके लिए सर्वोत्तम मानी गई है चूँकि इसकी लताएँ पानी के रुकाव को सह नहीं पाती है अत: उचे स्थानों पर जहां जल निकास की उचित व्यवस्था हो वहीँ पर इसकी खेती करनी चाहिए |

भूमि की तैयारी :-

धान की खेती प्रमुख रोग नियत्रंण प्रबंधन

विश्व में धान (चावल) के कुल उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा कम आय  वाले देशों में छोटे स्तर के किसानों द्वारा उगाया जाता है। इसलिए विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास और जीवन में सुधार के लिए दक्ष और उत्पादक धान (चावल) आधारित पद्धति आवश्यक है। अतंर्राष्ट्रीय धान (चावल) वर्ष 2004 ने धान (चावल) को केन्द्र बिंदु मानकर कृषि, खाद्य सुरक्षा, पोषण, कृषि जैव विविधता,पर्यावरण, संस्कृति, आर्थिकी, विज्ञान, लिंगभेद और रोजगार के परस्पर संबंधों को नये नजरिये से देखा है। अंतर्राष्ट्रीय धान (चावल) वर्ष, ‘सूचना प्रदाता’ के रूप में हमारे समक्ष है ताकि सूचना आदान-प्रदान, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ठोस

अरबी की खेती एक जानकारी

अरबी दो तरह की होती है जिसमे एक एडिन और दूसरी डेसिन टाइप, एडिन को अरबी तथा डेसिन को बण्डा कहते है इसकी खेती पूरे भारत में  की जाती हैI एशिया में अफ्रीका का प्रथम स्थान पैदावार एवं क्षेत्रफल में हैI  घुईया या अरबी में चिड़चिड़ाहट या एक्रीडिटी पाई जाती है और यह पकाने के बाद ख़त्म हो जाती हैI

अरबी की आर्गनिक खेती

  भूमि ---
अरबी के लिए पर्याप्त जीवांश वाली रेतीली दोमट मिटटी अच्छी रहती है इसके लिए गहरी भूमि होनी चाहिए ताकि इसके कंदों का समुचित विकास हो सके .

 जलवायु ---

अरबी कि फसल को गर्म और आर्द्र जलवायु कि आवश्यकता होती है यह ग्रीष्म और वर्षा दोनों मौसमों में उगाई जा सकती है इसे उष्ण और उप उष्ण देशों में उगाया जा सकता है उत्तरी भारत कि जलवायु अरबी कि खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गई है .

श्वेत बटन मशरूम लागत कम मुनाफ़ा ज्यादा

भारत में इसका उत्पादन सत्तर के दशक में शुरू हुआ था। भारत के पंजाब राज्य में सबसे अधिक मशरूम की खेती होती है। यहां कुल उत्पादन का 51 फ ीसदी मशरूम अकेले ही उगाया जाता है। वहीं, अन्तरराष्ट्रीय मशरूम उत्पादन में चीन पहले नंबर पर है।
मशरूम एक तरह की फफूंद होती है, जो खाने मेें काफी स्वादिस्ट होता है। इसकी चार प्रजातियां होती हैं, जिन्हें खाने में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे सफेद बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम, दूधिया मशरूम और पुआल मशरूम होते हैं। इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा के साथ ही विटामिन -बी कॉम्पलेक्स, मिनरल तथा आयरन भी पाया जाता है। 

बटन मशरूम के लिए कम्‍पोस्‍ट खाद कैसे बनाएं

साधारण विधि से कम्‍पोस्‍ट बनाने की तकनीक (Simple method of making compost)

साधारण विधि से कम्‍पोस्‍ट बनाने में 20 से 25 दिन का समय लगता है 

100 सेंमी लम्‍बी, 50 सेंमी चौडी तथा 15 सेंमी ऊची 15 पेटियों के लिए इस विधि से कम्‍पेस्‍ट बनाने के लिए सामग्री:

बटन मशरूम कैसे उगायें

भारत में खुम्‍बी उत्‍पादकों के दो समुह हैं एक जो केवल मौसम में ही इसकी खेती करते हैं तथा दूसरे जो सारे साल मशरूम उगाते हैं। मौसमी खेती मुख्‍यत: हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू-कशमीर, उत्‍तर प्रदेश की पहाडीयों, उत्‍तर-पश्चिमी पहाडी क्षेत्रों , तमिलनाडु के पहाडी भागों में 2-3 फसलों के लिए तथा उत्‍तर पश्चिमी समतल क्षेत्रो में केवल जाडे की फसल के रूप में की जाती है। पूरे साल खुम्‍बी की खेती सारे देश में की जाती है। चंडीगढ, देहरादून, गुडगावा, उंटी, पूना, चेनई तथा गोवा के आसपास 200 से 5000 टन प्रतिवर्ष खुम्‍बी उगाने वाली निर्यातोन्‍मुखी ईकाठयां लगी हुई है। 

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