Organic Farming
अंगूर की आधुनिक खेती
Submitted by Aksh on 21 April, 2015 - 23:03अंगूर संसार के उपोष्ण कटिबंध के फलों में विशेष महत्व रखता है। हमारे देश में लगभग 620 ई.पूर्व ही उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में अंगूर की व्यवसायिक खेती एक लाभकारी उद्यम के रूप में विकसित हो गई थी लेकिन उत्तरी भारत में व्यवसायिक उत्पादन धीरे - धीरे बहुत देर से शुरू हुआ। आज अंगूर ने उत्तर भारत में भी एक महत्वपूर्ण फल के रूप में अपना स्थान बना लिया है और इन क्षेत्रों में इसका क्षेत्रफल काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले तीन दशकों में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अंगूर कि खेती ने प्रगति की है जिसके फलस्वरूप भारत में अंगूर के उत्पादन, उत्पादकता एवं क्षेत्रफल में अपे
देशी पपीता: लाभदायक खेती
Submitted by Aksh on 21 April, 2015 - 22:56पपीता (केरिका पपाया) भारत में बहुतायत में उगाया जाता है। इसकी खेती भारत के अधिकांश राज्यों में की जाती है। इसके फल में 0.5 प्रतिशत प्रोटीन, 9.0 प्रतिशत कार्बोहाइडेªट , 0.1 प्रतिशत वसा तथा प्रचुर खनिज तत्व (आयरन, कैल्शियम तथा फास्फोरस), 25 प्रतिशत विटामिन-ए (अन्र्तराष्ट्रीय इकाई ), 70 मिलीग्राम विटामिन-सी प्रति 100 ग्राम फल में पाये जाते है।
इसके कच्चे फल से पपेन निकाला जाता है, जो च्युइन्गम बनाने, चमड़ा उद्योग तथा पाचक दवाईयां बनाने में किया जाता है। इसके पके फल लिवर एवं पाचनतंत्र की सक्रियता को बढ़ाते हैं साथ ही स्वादिष्ट एवं रूचिकर होते है।
भूमि एवं जलवायु:-
लाभदायक खेती: सूरजमुखी
Submitted by Aksh on 21 April, 2015 - 22:48सूरजमुखी साल के तीनों मौसम में लगाने वाली तिलहनी फसल है । इसका तेल कोलेस्ट्राॅल रहित तथा विटामिन-ए, डी एवं ई से भरपूर रहता हैं। इसके दानों में मंूगफली के समान ही 40 से 50 प्रतिशत तेल निकलता है। इसका उपयोग खाद्य तेल के रूप में किया जाता है। इसमे कोलेस्ट्राॅल की मात्रा कम होने से यह हृदय रोगियों के लिए अन्य तेलो की अपेक्षा अधिक लाभप्रद होता है। कई क्षेत्रों में, जहां कहीं भी गेहँू की बुआई के लिए देरी हो जाती है, वहां सूरजमुखी लगाना अधिक लाभदायक होता है । अतः कृषक भाई गेहूं की जगह सूरजमुखी ही लगायें।
भूमि –
ताइवानी पपीते की खेती
Submitted by Aksh on 21 April, 2015 - 22:42बिहार में फलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने ताइवान रेड लेडी या ताइवानी पपीता की खेती को प्रोत्साहित करने की कार्ययोजना बनायी है. इस किस्म के पौधे किसानों को अनुदानित दर यानी 8.25 रुपये प्रति पौधे की दर पर मिलेंगे. इसे किसान कृषि विभाग की नर्सरी या अन्य चुनिंदा नर्सरी से प्राप्त कर सकते हैं.
पपीते की उत्तम खेती
Submitted by Aksh on 21 April, 2015 - 22:32देश की विभिन्न राज्यों आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, असाम, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू - कश्मीर, उत्तरांचल और मिजोरम में इसकी खेती की जा रही है. अतः इसके सफल उत्पादन के लिए वैज्ञानिक पद्धति और तकनीकों का उपयोग करके कृषक स्वयं और राष्ट्र को आर्थिक दृष्टि से लाभान्वित कर सकते हैं. इसके लिए तकनिकी रूप में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए.
भूमि या मृदा
लहसुन के सत से दूर करें तिलहन फसलों के रोग
Submitted by Aksh on 20 April, 2015 - 23:24इस रसायन का नाम डायलाइल थायोसल्फिनेट है, जो हर प्रकार के फफूंद से होने वाले रोगों को रोकने में सक्षम है। इसका छिड़काव करने से तिलहन की फसल पर लगने वाला फफूंद पूरी तरह से खत्म हो जाता है। सरसों उत्पादक जिलों में किए गये अध्ययन में ये बात साफ हो गई है कि रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले लहसुन के घोल का छिड़काव करने से जहां फसल पर लगा रोग पूरी तरह से समाप्त हो जाता है, वहीं पैदावार में भी कमी नहीं आती है।
लहसुन कि आर्गनिक ,जैविक, उन्नत खेती व शल्क कंदीय सब्जिया
Submitted by Aksh on 20 April, 2015 - 23:16: जलवायु -
लहसुन को ठंडी जलवायु कि आवश्यकता होती है वैसे लहसुन के लिए गर्म और सर्दी दोनों ही कुछ कम रहें तो उत्तम रहता है अधिक गर्म और लम्बे दिन इसके कंद निर्माण के लिए उत्तम नहीं रहते है छोटे दिन इसके कंद निर्माण के लिए अच्छे होते है इसकी सफल खेती के लिए 29.76-35.33 डिग्री सेल्सियस तापमान 10 घंटे का दिन और 70 % आद्रता उपयुक्त होती है समुद्र तल से 1000-1400 मीटर तक कि ऊंचाई पर इसकी खेती कि जा सकती है .
: भूमि -
उत्तर भारत में खरीफ मौसम में प्याज की खेती
Submitted by Aksh on 20 April, 2015 - 10:34उत्तरी भारत में प्याज रबी की फसल है यहां प्याज का भंडारण अक्टूबर माह के बाद तक करना सम्भव नही है क्योकि कंद अंकुरित हो जाते हैं।
इस अवधि(अक्टूबर से अप्रैल) में उत्तर भारत में प्याज की उपलब्ध्ता कम होने तथा परिवहन खर्चे के कारण दाम बढ जाते हैं। इसके समाधान के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने उत्तर भारत के मैदानो में खरीफ में भी प्याज की खेती के लिए एन-53(N-53) तथा एग्रीफाउंड डार्क रैड नामक प्याज की किस्मों का विकास किया है।
प्याज की किस्म : एन-53(आई.ए.आर.आई.); एग्रीफाउंड डार्क रैड (एन.एच.आर.डी.एफ.)