Organic Farming

सीवीड खाद (समुद्री शैवाल) : फसल के लिए एक बेहतरीन हरी खाद

समुद्री खरपतवार (Seaweed), समुद्र की गहराई में स्थित शैवाल (एल्गी) हैं। समुद्र में हजारों किस्म की शैवाल (Algae) पायी जाती हैं इन्हीं शैवालों में कई छोटी मछलियाँ अपना बसेरा भी बना लेती हैं। जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत होता है सी-वीड यानि समुद्र के अंदर उगने वाली घास। इन्हीं Algae और Seaweed में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो पौधों के लिए बेहद लाभादायक होते हैं। इन्हें सुखाकर उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जिसे सीवीड फर्टिलाइजर कहा जाता है।

क्या है सीवीड खाद?

गन्ने का घासीय प्ररोह रोग

भारत की एक प्रमुख नकदी फसल है। इसकी व्यापक रूप से भारत के विभिन्न प्रान्तों में खेती की जाती है। देश में गन्ना शर्करा उत्पादन का मुख्य स्रोत है। भारत में गन्ने की फसल को कई रोग प्रभावित करते हैं, जिनमें ग्रासी शूट रोग मुख्य हैं। यह फायटोप्लाजमा द्वारा होता है। यह रोग प्रायः एल्बिनो, ग्रासी शूट, विवर्ण रोग तथा घासीय प्ररोह आदि नामों से भी जाना जाता है। भारत में सर्वप्रथम यह रोग महाराष्ट्र में वर्ष 1955 में देखा गया। विश्व में यह रोग थाईलैण्ड, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, चीन एवं पाकिस्तान देशों में गन्ने की फसलों को प्रभावित करता है। बावक फसलों की अपेक्षा इस रोग का आपतन पेड़ी फसलों को ज्याद

लौकी ,तोरई टिंडा आदि फसलों में आने वाले रोग व उनके उपचार

गर्मियों में बेल वाली सब्जियाँ जैसे लौकी, तरोई, टिंडा आदि की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और इनकी खेती करके प्रति इकाई क्षेत्रफल में अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। यदि इन सब्जियों की खेती में कुछ सामान्य रोग और व्याधियों का ध्यान दिया जाए तो प्रति इकाई क्षेत्रफल से कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस मौसम में चूंकि गेहूं की फसल पक रही होती है या कट चुकी होती है। ऐसे में रस चूसने वाले कीट व पत्ती खाने वाले कीट अपना आश्रय ढूंढते हैं और ज्यादातर कीट सब्जी के फसलों में लग जाते हैं। इस प्रकार से बेल वाली सब्जियों में भी कई प्रकार के कीट आक्रमण करते हैं, जिनमें प्रमुख

कददू की उन्नत खेती

सब्जी की खेती में कददू का प्रमुख स्थान हैI इसकी उत्पादकता एवम पोषक महत्त्व अधिक है इसके हरे फलो से सब्जी तथा पके हुए फलो से सब्जी एवम कुछ मिठाई भी बनाई जाती हैI पके कददू पीले रंग के होते है तथा इसमे कैरोटीन की मात्रा भी पाई जाती हैI इसके फूलो को भी लोग पकाकर खाते हैI इसका उत्पादन असाम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा तथा उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से किया जाता है

जलवायु 

चना की खेती

चना एक सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल मानी जाती है. चने के पौधे की हरी पत्तियां साग और हरा सूखा दाना सब्जियां बनाने में प्रयुक्त होता है. चने के दाने से अलग किए हुए छिलके को पशु चाव से खाते हैं. चने की फसल आगामी फसलों के लिए मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिर करती है, इससे खेत की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है.

चना की खेती के लिए भूमि की तैयारी

तीन खतरों से बचाएं गेहूं की फसल

सामान्य समय से लगाई गई गेहूं की फसल में इस समय कीट, रोग और खरपतवार का प्रकोप हो सकता है।

इस समय ज्यादातर नम पूर्वा हवा चलती है जिससे फसल में रोग व कीट प्रकोप ज्यादा रहता है। पूर्वा हवा में फसल में नमी बनी रहती है और नमी की वजह से कई तरह के कीट और रोग के पनपने की आदर्श परिस्थियां बन जाती हैं।”

हमारे किसान किसी भी कीट या रोग का प्रकोप होते ही सबसे पहले रासायनिक दवाओं की ओर भागते हैं जबकि वैज्ञानिक तरीके से कीट और रोग नियंत्रण में यह सबसे आखिरी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।”

फरवरी में किसान करें इन लता वर्गीय सव्जियों की बुवाई

किसान फरवरी में कौन-कौन सी लता वर्गीय सव्जियों की बुवाई कर सकते हैं. बाजार में आने वाले मौसम और समय को देखते हुए ही किसानों को बुवाई करनी चाहिए जिससे बाज़ार में उसकी मांग के चलते अच्छी कीमत मिल सके. आइए आपको बताते हैं कि आप किन फसलों की बुवाई अगले महीने कर सकते हैं.

चि‍कनी तोरई

मूंगफली की उन्नत किस्में और खेती की तकनीक

मूंगफली की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. लेकिन मूंगफली की खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए अच्छी मिट्टी, जलवायु, उन्नत किस्मों और खाद का चुनाव करना बेहद जरुरी है. आज के इस लेख में हम आपको मूंगफली की खेती की संपूर्ण जानकारी दे रहे हैं. 

आईए सबसे पहले जानते हैं मूंगफली के लिए उपयुक्त जलवायु-

अंगूर की खेती

बागवानी फसलों में अंगूर की खेती का भी एक प्रमुख स्थान है. किसान अंगूर की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे में आधुनिक खेती से अंगूर की फसल उगाकर अच्छी कमाई कर सकते है.

भूमि और जलवायु 

अंगूर की खेती करने के लिए जल निकास वाली रेतीली, दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है. अधिक चिकनी मिट्टी खेती के लिए ठीक नहीं मानी जाती है. खेती के लिए गर्म, शुष्क और दीर्घ ग्रीष्म ऋतु अनुकूल रहती है. अंगूर के पकते समय बारिश या बादल का होना बहुत ही हानिकारक होता है. इसकी वजह से दाने फट जाते हैं और फलों की गुणवत्ता पर बहुत बुरा असर पड़ता है. 

अंगूर की बेलों की रोपाई

टमाटर की बैक्टीरियल विल्ट या जीवाणु उखटा रोग

बैक्टीरियल विल्ट मिट्टी जनित जीवाणु (राल्स्टोनिआ सोलेनेसीरम) के कारण होता है । टमाटर के अलावा यह आलू, बैंगन और शिमला मिर्च में भी हमला करता है । कुल्लू घाटी में इस बीमारी का प्रकोप कम है । अगर यह रोगज़नक़ एक बार  मिट्टी में स्थापित हो जाता है तो यह नौ साल तक उस खेत में रह सकता है ।

पहचान

रोग के कारण कुछ ही दिनों में पौधे का पूरा भीतरी तंत्र कमजोर पड़ जाता है । और बाद में अचानक ही  पत्ते गिरना शुरू हो जाते हैं । ग्रसित पौधे के पत्ते बिना पीले हुए हरे ही रहते हैं ।

रोग का समय

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