Organic Farming

इनका करें प्रयोग, धान की फसल रहेगी निरोग

देर से सही दुरुस्त हुई बारिश ने धान फसल को संजीवनी दे दी है तो किसान भी आह्लंादित हैं। बावजूद इसके किसानों को फसल के प्रति विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। जरा सी भी लापरवाही से फसल रोगों की चपेट में आ सकती है। ऐसे में सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है। कारण धान की फसल में लगने वाले खैरा सहित सफेदा व झुलसा रोग तो दीमक व जड़सुंडी कीट से देखते ही देखते फसल बर्बाद हो जाती है।

जैव उर्वरक क्या हैं?

 जैव उर्वरक जीवाणु खाद है। खाद में मौजूद लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु वायुमण्डल में पहले से विद्यमान नाइट्रोजन को पकड़कर फसल को उपलब्ध कराते हैं और मिट्टी में मौजूद अघुलनशील फास्फोरस को पानी में घुलनशील बनाकर पौधों को देते हैं।। इस प्रकार रासायनिक खाद की आवश्यकता सीमित हो जाती है। वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि जैविक खाद के प्रयोग से 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर भूमि को प्राप्त हो जाती है तथा उपज 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसलिए रासायनिक उर्वरकों को थोड़ा कम प्रयोग करके बदले में जैविक खाद का प्रयोग करके फसलों की भरपूर उपज पाई जा सकती है। जैव उर्वरक रासा

गन्ने की फसल में होने वाले रोग और निदान

हमारे देश में गन्ना प्रमुख रूप से नकदी फसल के रूप में उगाया जाता है, जिसकी खेती प्रति वर्ष लगभग 30 लाख हेक्टर भूमि में की जाती है, इस देश में औसत उपज 65.4 टन प्रति हेक्टर है, जो की काफी कम है, यहाँ पर मुख्य रूप से गन्ना द्वारा ही चीनी व गुड बनाया जाता है Iउत्तर प्रदेश में और ख़ास तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिकांश खेती गन्ने की ही होती है। ऐसे में किसानों के लिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि गन्ने की फसल को कौन से रोग बर्बाद कर सकते हैं और उनके रोकथाम के लिए किसान क्या कर सकते हैं! 
 
 

प्रमुख कीट/रोग  

पेठा (कद्दूवर्गीय सब्जी) की उन्नत खेती

एक बेल पर लगने वाला फल है, जो सब्जी की तरह खाया जाता है। यह हल्के हरे वर्ण का होता है और बहुत बड़े आकार का हो सकता है। पूरा पकने पर यह सतही बालों को छोड़कर कुछ श्वेत धूल भरी सतह का हो जाता है। इसकी कुछ प्रजातियां १-२ मीटर तक के फल देती हैं पेठा दरअसल कद्दू की वह वेरायटी है जिससे पेठा बनता है। इसे भूरा कद्दू ,कुष्मांड या कूष्मांड का फल पेठा, भतुआ, कोंहड़ा आदि नामों से भी जाना जाता है इसकी अधिकांश खेती भारत सहित दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में होती है। इससे भारत में एक मिठाई भी बनती है, जिसे पेठा (मिठाई) ही कहते हैं।

जलवायु

मक्के में लगने बालें कीट व रोगों तथा उपचार

मक्का खरीफ ऋतु की फसल है, परन्तु जहां सिचाई के साधन हैं वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप मे ली जा सकती है। मक्का कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह एक बहपयोगी फसल है व मनुष्य के साथ- साथ पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव भी है तथा औद्योगिक दृष्टिकोण से इसका महत्वपूर्ण स्थान भी है।जिन किसानों ने मक्के की बुवाई की है, उन्हें मक्के में लगने वाले कीटों, रोगों व उनके उपचार के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है ताकि समय रहते किसान कीट व रोग को पहचान कर उचित उपचार कर सकें। इस संकलन से हम किसानों को मक्के में लगने वाले कीटों, रोगों व उनके उपचार के बारे में बता रहे हैं।

मिट्टी की जांच कब , क्यों,कैसे

कृषि में मृदा परीक्षण या "भूमि की जाँच" एक मृदा के किसी नमूने की रासायनिक जांच है जिससे भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा के बारे में जानकारी मिलती है। इस परीक्षण का उद्देश्य भूमि की उर्वरकता मापना तथा यह पता करना है कि उस भूमि में कौन से तत्वों की कमी है।

कब

फसल की कटाई हो जाने अथवा परिपक्व खड़ी फसल में।

प्रत्येक तीन वर्ष में फसल मौसम शुरू होने से पूर्व एक बार।

करेला की उन्नत खेती

करेला लता जाति की स्वयंजात और कषि जन्य वनस्पति है। इसे कारवेल्लक, कारवेल्लिका, करेल, करेली तथा काँरले आदि नामों से भी जाना जाता है। करेले की आरोही अथवा विसर्पी कोमल लताएँ, झाड़ियों और बाड़ों पर स्वयंजात अथवा खेतों में बोई हुई पाई जाती है। इनकी पत्तियाँ ५-७ खंडों में विभक्त, तंतु (ट्रेंड्रिल, tendril) अविभक्त, पुष्प पीले और फल उन्नत मुलिकावाले (ट्यूबर्किल्ड, tubercled) होते हैं। कटु तिक्त होने पर भी रुचिकर और पथ्य शाक के रूप में इसका बहुत व्यवहार होता है। चिकित्सा में लता या पत्र स्वरस का उपयोग दीपन, भेदन, कफ-पित्त-नाश तथा ज्वर, कृमि, वातरक्त और आमवातादि में हितकर माना जाता है। जलवायु

शिमला मिर्च की उन्नत उत्पादन तकनीक

सब्जियों मे शिमला मिर्च की खेती का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसको ग्रीन पेपर, स्वीट पेपर, बेल पेपर आदि विभिन्न नामो से जाना जाता है। आकार एवं तीखापन मे यह मिर्च से भिन्न होता है। इसके फल गुदादार, मांसल, मोटा, घण्टी नुमा कही से उभरा तो कही से नीचे दबा हुआ होता है। शिमला मिर्च की लगभग सभी किस्मो मे तीखापन अत्यंत कम या नही के बराबर पाया जाता है। इसमे मुख्य रूप से विटामिन ए तथा सी की मात्रा अधिक होती है। इसलिये इसको सब्जी के रूप मे उपयोग किया जाता है। यदि किसान इसकी खेती उन्नत व वैज्ञानिक तरीके से करे तो अधिक उत्पादन एवं आय प्राप्त कर सकता है। इस लेख के माध्यम से इन्ही सब बिंदुओ पर प्रकाश डाला गय

लेमन ग्रास की उन्नत खेती

 

नींबू घास (लेमन ग्रास) काफी भारतीय घरों में उगाई जाती है। इसे लेमन ग्रास/चायना ग्रास/भारतीय नींबू घास/मालाबार घास अथवा कोचीन घास भी कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम सिम्बेपोगोन फ्लक्सुओसस (Cymbopogon flexuosus) है।

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